सत्यवादी सुकरात, जिस पर था युवाओं को बहकाने का आरोप
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फोटो : सोशल मीडिया से साभार |
आज उसे लोग यूनान का महान दार्शनिक मानते हैं, लेकिन जब वह जीवित था तो उस पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए और उसे जहर का प्याला पिला दिया गया।
हां, वह सुकरात ही थे, जिन पर आरोप था कि वह नास्तिक थे और युवाओं को बिगाड़ रहे थे। 469 ईसा पूर्व में एथेंस में एक गरीब घर में पैदा हुए सुकरात का दर्शन इतना सटीक था कि लोग आज भी उन्हें याद करते हुए उत्साह से भर जाते हैं। उनके पिता संगतराश थे और उनकी मां दाई का काम किया करती थीं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह कभी चुप नहीं बैठते थे और सड़कों पर भटकते हुए लोगों को सत्य की राह दिखाते रहते थे। उनके सत्यवादी होने से वहां के लोग जागरूक हो रहे थे और अपने अधिकारों को लेकर सचेत हो रहे थे। यही बात तत्कालीन सत्ताधारियों को नागवार गुजर रही थी।
सुकरात ने कभी कोई ग्रंथ नहीं लिखा था, लेकिन उनके उपदेश देने का तरीका ही इतना प्रभावशाली था कि लोग उन्हें सुनते ही रह जाते थे। वह सूफियों की तरह साधारण लोगों से रूबरू होते थे। सुकरात बहुत ईमानदार और दृढ़ संकल्प वाले विचारक थे। वह उपदेश देने के लिए बहुत सुबह ही अपने घर से बाहर निकल जाते थे और लोगों को ज्ञान और सत्य की राह दिखाते रहते थे।
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Photo by Geetanjal Khanna on Unsplash |
उनके दो मुख्य शिष्यों अरस्तु और प्लेटो ने उनके विचारों को दूर-दूर तक फैलाया था। लेकिन यह भी सच है कि उनके जीवनकाल में ही उनके विचार दूर-दूर तक फैल गए थे। सुकरात के विचारों के फैलने से उनके दुश्मनों के समाजविरोधी कार्य में बाधा उत्पन्न होने लगी। और आखिरकार उन पर मुकदमा चलवा दिया गया। उन पर तीन आरोप लगाए गए। पहला यह था कि सुकरात मान्यता प्राप्त देवताओं की उपेक्षा करते हैं और वे देवताओं में विश्वास नहीं करते हैं। दूसरा आरोप था कि उन्होंने राष्ट्रीय देवताओं की जगह काल्पनिक देवता को स्थापित कर दिया है। तीसरा आरोप उन पर यह था कि वह इलाके के युवा वर्ग को भ्रष्ट बना रहे हैं।
उन्हें मौत की सजा दी गई। उन्हें विष का प्याला पीने का हुक्म दिया गया। विष पीने के बाद उनकी मौत भले ही हो गई, लेकिन उनके विचार आज भी युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।
-झपसी टीम
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