'एग्जिट पोल्स' में नहीं, ईवीएम में कैद है अगली सरकार का चेहरा
एग्जिट पोल्स के अनुमान को देखते हुए भाजपा खेमे में उत्साह चरम पर है। मोदी का मुखौटा पहने भाजपाई कार्यकर्ता लड्डू बनाने की शुरुआत कर चुके हैं ...फूलों और ढोल- ताशे वालों को कह दिया गया है ...नेता भी सरकार बनाने के लिए कमर कस चुके हैं, तो अब बचा ही क्या है? ...लेकिन जरा ठहरिए। अभी परिणाम नहीं आया है। यह सभी जानते हैं कि अनुमान हर बार परिणाम नहीं हो सकता है। ...और जो कल परिणाम अनुमान जैसा नहीं हुआ तो... तो क्या होगा? viewpoint: Gulzar Hussain एग्जिट पोल्स के अनुमान के बाद भले भाजपाई बेहद खुश नजर आ रहे हैं, लेकिन उनके अंदर भी एक उथल- पुथल मची है कि कल जब चुनाव परिणाम आने शुरू होंगे तो न जाने क्या होगा। दरअसल, सच भी यही है कि एग्जिट पोल्स तो आखिरकार एक अनुमान ही है, जो गलत भी साबित हो सकती है। याद कीजिए 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुए एग्जिट पोल्स को। सभी एग्जिट पोल्स ने तब वाजपेयी सरकार की वापसी की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था। उस समय यूपीए की शानदार जीत हुई थी। इसी तरह 2009 में ज्यादा सर्वे में यूपीए की जीत के अंतर को बहुत कम आंका गया था, लेकिन हुआ कुछ और ही