आग बुझाने नहीं, राख देखने आते हैं नेता
By Gulzar Hussain दंगे-फसाद के दौरान मोहल्लों के घरों में लगाई गई आग कोई नेता बुझाने नहीं आता है। नेता तब नजर आते हैं, जब घर-दुकान जलकर राख हो चुकी होती है। यह सच्चाई तो जलती हुई दिल्ली (Delhi violence) को देखकर सभी जान ही गए होंगे। और दूसरी ओर इस सच्चाई को भी लोग जान गए होंगे कि दंगे भड़काने में नेताओं की ही साजिश होती ही है। खैर, मैं यह हरगिज नहीं बताना चाहता कि नेता दंगे के दौरान क्यों नहीं कवच बनकर लोगों की रक्षा कर पाते हैं, बल्कि यह बताना चाहता हूं जनता की रक्षा करता कौन है। दरअसल, जनता की रक्षक जनता ही होती है। दिल्ली में कई ऐसी घटनाएं हैं, जो इंसानियत की जिंदा मिसाल हैं। धू-धू कर जल रहे मुस्लिम पड़ोसी के घर में प्रेमकांत बघेल घुस गए। उन्होंने जान पर खेलकर अपने मुस्लिम साथी को बचाया, लेकिन खुद बुरी तरह झुलस गए। इसके अलावा रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम में बताया कि कैसे एक सिख सिद्धु ने दंगाइयों के हाथ से एक मुस्लिम युवक को बचाया और घर ले आए। उन्होंने अपनी पगड़ी उतारकर उस युवक के सिर पर बांधा। इसके अलावा कई ऐसी घटनाएं हैं जहां मुस्लिमों ने अपने पड़ोसियों की जा