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Showing posts from February 23, 2020

आग बुझाने नहीं, राख देखने आते हैं नेता

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By Gulzar Hussain दंगे-फसाद के दौरान मोहल्‍लों के घरों में लगाई गई आग कोई नेता बुझाने नहीं आता है। नेता तब नजर आते हैं, जब घर-दुकान जलकर राख हो चुकी होती है। यह सच्‍चाई तो जलती हुई दिल्‍ली (Delhi violence) को देखकर सभी जान ही गए होंगे। और दूसरी ओर इस सच्‍चाई को भी लोग जान गए होंगे कि दंगे भड़काने में नेताओं की ही साजिश होती ही है। खैर, मैं यह हरगिज नहीं बताना चाहता कि नेता दंगे के दौरान क्‍यों नहीं कवच बनकर लोगों की रक्षा कर पाते हैं, बल्कि यह बताना चाहता हूं जनता की रक्षा करता कौन है। दरअसल, जनता की रक्षक जनता ही होती है। दिल्‍ली में कई ऐसी घटनाएं हैं, जो इंसानियत की जिंदा मिसाल हैं। धू-धू कर जल रहे मुस्लिम पड़ोसी के घर में प्रेमकांत बघेल घुस गए। उन्‍होंने जान पर खेलकर अपने मुस्लिम साथी को बचाया, लेकिन खुद बुरी तरह झुलस गए। इसके अलावा रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम में बताया कि कैसे एक सिख सिद्धु ने दंगाइयों के हाथ से एक मुस्लिम युवक को बचाया और घर ले आए। उन्‍होंने अपनी पगड़ी उतारकर उस युवक के सिर पर बांधा। इसके अलावा कई ऐसी घटनाएं हैं जहां मुस्लिमों ने अपने पड़ोसियों की जा

Delhi violence: अब दोबारा न लगे कहीं ऐसी आग

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अब दोबारा कहीं ऐसी आग न लगे इसके लिए पूरी तरह सतर्क रहने की जरूरत है। बिहार में चुनाव होने हैं, इसलिए वहां भड़काऊ राजनीति की शुरुआत होने की प्रबल आशंका है। By Gulzar Hussain दिल्‍ली (Delhi) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हो रहे शांतिपूर्ण आंदोलनों के बीच न जाने कहां से एक ऐसी चिनगारी निकली, जिससे हिंसा की आग फैल गई। और यह आग इस तरह फैली कि देखते ही देखते दिल्‍ली में कई जगहों पर नरसंहार में बदल गई। मॉब लिंचिंग से लेकर घरों में घुसकर हमले किए जाने लगे। दिल्‍ली में आगजनी के भयानक दृश्‍यों को देख पूरा देश कांप उठा है। यह सब इतना भयावह है कि सभी शांतिप्रिय लोगों के मुंह से एक ही वाक्‍य निकल रहा है कि अब फिर कहीं भी ऐसी आग न लगे। दिल्‍ली जलने के पीछे की स्थिति को समझने की जरूरत है। यह समझना इसलिए जरूरी है ताकि दूसरे राज्‍य अपने चुनाव के समय सतर्क हो जाएं। यह बहुत चर्चित वाक्‍य है कि दंगे होते नहीं, कराए जाते हैं। लेकिन इसके साथ यह भी सत्‍य है कि नरसंहार कोई आम जनता का जनता पर जुल्‍म नहीं है, बल्कि वह सत्‍ता प्रेरित हिंसक खेल है। इसे आप सियासी हिंसा भी कह सकते हैं।