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Showing posts from December 16, 2018

देश के बारे में चिंता करने को गद्दारी का नाम न दो

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Naseeruddin Shah/  YouTube ScreenGrab BY Gulzar Hussain मैं यह जानता हूं कि नसीरुद्दीन शाह ( Naseeruddin Shah)  की बात का बतंगड़ बनाकर जो चंद कट्टरपंथी संगठन बवाल किए हुए हैं, उनकी बात को गंभीरता से लिया जाना ठीक नहीं है। मुझे यह भी पता है कि नसीर ने देश की स्थिति पर चिंता जताते हुए जो बात कही है, वह कट्टरपंथियों के लिए कोई मुद्दा नहीं है, क्‍योंकि नसीर यदि इससे हट कर कुछ और कहते तो भी उनके विरोध में इसी तरह नफरतवादी गिरोह को आग उगलना ही था। लेकिन यदि वे कुछ और भी कहते, तो भी यह कट्टर गिरोह उन्‍हें ऐसे ही अपमानित करता। मसलन वे यदि बुलंदशहर पर न बोलकर अखलाक या जज लोया पर चिंता जताते या फिर दाभोलकर, गौरी लंकेश, रोहित वेमुला और गोविंद पानसरे को लेकर कुछ कहते तो क्‍या यह कट्टर गिरोह उन्‍हें चैन से रहने देता?  नसीरुद्दीन शाह ( Naseeruddin Shah)  ने बुलंदशहर हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा था कि एक पुलिस इंस्‍पेक्‍टर सुबोध सिंह की हत्‍या से ज्‍यादा गाय पर ध्‍यान दिया जा रहा है। लेकिन यदि वे कुछ और भी कहते, तो भी यह कट्टर गिरोह उन्‍हें ऐसे ही अपमानित करता। मसलन वे यदि बुलंदशहर पर न

कब कटेगी चौरासी: ज़ख़्म का समंदर समेटे पन्नों से गुजरना

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Book cover/ File photo By Gulzar Hussain 1984 में सिखों के खिलाफ हुए नरसंहार ( 1984 Sikh Genocide)  का सच जानने के लिए पत्रकार जरनैल सिंह की पुस्तक 'कब कटेगी चौरासी : सिख क़त्लेआम का सच' पढ़ना जरूरी है। किसी देश में अचानक अल्पसंख्यकों के खिलाफ इतनी नफरत और हिंसा कैसे भर जाती है, इसका हृदयविदारक चित्रण इस पुस्तक में है। दंगे के दौरान दिल्ली की सड़कों पर अपमानित, प्रताड़ित और निष्प्राण होते जाते सिखों की व्यथा को जरनैल ने बहुत गहराई से रखा है। दरअसल अल्पसंख्यकों के खिलाफ ऐसे नफरत भरे खूनी खेल को देखते हुए बड़े होने वाले हर जनरैल की किताब ठीक ऐसी ही होती। जरनैल ने देखा कि एक भीड़ द्वारा कैसे किसी की पगड़ी उछाल कर अपमानित करते हुए जान ली जा रही है...उसने देखा कि कैसे बच्चों और महिलाओं को भी धर्मान्धों की भीड़ नहीं बख्श रही है।  मैं शहर जब भी जाता तो ऐसी बस्तियों से गुजरता।  बाद में मुझे इस बात पर आश्चर्य होता कि उन खून से रंगे घरों और दुकानों में लोग अब शान्ति से कैसे रह लेते हैं? क्या उन लोगों को कभी यह तड़प नहीं होती कि इन्हीं घरों से कभी किसी को मारपीट कर भगा दिया गया है।