Posts

Showing posts from November 3, 2024

न्याय पाने की तड़प से भरी हैं निर्मला गर्ग की कविताएं

Image
  निर्मला गर्ग का कविता संग्रह  'अनिश्चय के गहरे धुएं में' मैंने उनसे जब भी बात की, उन्हें देश के वंचित जनों की चिंता-फिक्र में पाया ...देश में माइनॉरिटी, दलित, आदिवासी की लगातार पिछड़ती आर्थिक-सामाजिक स्थिति को कैसे ठीक किया जाए, इस पर विचार-विमर्श करते पाया। ...हां, निर्मला गर्ग के व्यक्तित्व को और एक कवयित्री के रूप में उनके चिंतन को उनसे बातें करते हुए मैं जितना समझ पाया, उससे यही लगा कि इस कवयित्री की लिखी हर पंक्ति इस देश को और बेहतर बनाने की एक ठोस पहल है। इस साल निर्मला गर्ग का काव्य संग्रह 'अनिश्चय के गहरे धुएं में' पढ़ने का मौका मिला। इस संग्रह को पढ़ने के बाद सबसे पहले जो बात मेरे मन में आई, वह यही आई कि इस संग्रह की कविताएं सम्मोहित नहीं करतीं, बल्कि न्याय पाने की तड़प और बेचैनी से भर देती हैं। दरअसल, ये कविताएं जुल्म के प्रतिकार और अस्वीकार की कविताएं हैं। फासिस्टों से लड़ने वालों के लिए समर्पित इस काव्य संग्रह की कविताएं मानवता को बचाए रखने के प्रयासों को शिद्दत से रेखांकित करती चलती हैं। इस संग्रह में 'ईश्वर : कुछ कविताएं' में उनकी शुरुआती पंक्ति...