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...तो मैं मर जाऊंगा

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Photo by  Claudio Schwarz  on  Unsplash अगर मुझे कोई एक ही धर्म या एक ही जाति के लोगों के बीच रहने के लिए छोड़ दे, तो मैं मर जाऊंगा। मुझे हर धर्म और हर जाति के दोस्तो का साथ चाहिए। विविधता मेरे लिए बहुत जरूरी चीज है। मैं वह फूल हूं जो हर तरह के फूलों के बीच खिला रहता है। जरा सोचिए कि एक ही भाषा, एक ही सेक्स या एक ही सोच की तरह के लोगों के बीच रहना कितना नीरस और जानलेवा होगा। अगर मैं नास्तिक हूं, तो मुझे धार्मिक दोस्त भी चाहिए, जिनसे बहस कर सकूं। अगर मैं धार्मिक हूं तो भी मुझे नास्तिक मित्र चाहिए। महात्मा गांधी, बाबासाहेब आंबेडकर, भगत सिंह और अशफाक सभी अलग-अलग धर्मों, विचारों के थे, लेकिन इनके उद्देश्य एक थे- मानवता की रक्षा। यह एक धागा इन्हें एक सूत्र में जोड़कर रखता था। यही धागा भारत की शान है, इसे कभी टूटने मत दीजिए। इस बगीचे में हर रंग के फूलों को पल्लवित होने दीजिए। न जाने क्यों आज यह कहना जरूरी लग रहा है कि एकता- भाईचारा ही इस देश की असली ताकत है। इस देश में रहने वाले बौद्ध, सिख, हिंदू, ईसाई, मुस्लिम और नास्तिक सभी एक साथ मिलजुल कर रहते आए हैं और आगे भी रहना चाहते हैं। तो फिर कौन है