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Showing posts from November 23, 2014

बचपन में बिछड़े दोस्त सी अचानक मिलती हैं कुछ फ़िल्में

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- गुलज़ार हुसैन जब कुछ फिल्मों को आप दुबारा देखते हैं,  तो उसे कई नई कसौटियों पर तौलते भी हैं. यह बात तब और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, जब आप बचपन में देखी गई फिल्मों को दुबारा देखते हैं. यह एक बार फिर से बचपन में लौटने जैसा ही होता है ...या किसी पुराने जख्म को कुरेदने जैसा भी हो सकता है ...मैं सोचता हूँ कि जिस तरह 'तेरी मेहरबानियाँ' देखते हुए बचपन में मैं फूट- फूट कर रोया था, क्या अब भी वैसे ही रो सकता हूँ? ऐसा ही कुछ सोचते हुए पिछले दिनों फेसबुक पर मैंने कुछ मनपसंद  फिल्मों को लेकर पोस्ट लिखे थे. कुछ साथियो को यह पसंद भी आया. मेरी एक दोस्त ने सलाह दी की इन सब पोस्टों को ब्लॉग पर रख लूं. उनका सुझाव मानते हुए कुछ पोस्टों को एक जगह रख रहा हूँ. भाई-बहन के रिश्ते का अर्थ   भाई- बहन के रिश्ते में क्या तब एक ठहराव या बदलाव आ जाता है, जब दोनों में से किसी एक की शादी कहीं हो जाती है? यह प्रश्न महत्व रखता है, लेकिन इससे अलग, तब क्या स्थिति बनती है, जब भाई बेरोजगार हो और शराब पीने का आदि हो और पूरा घर केवल कुआंरी बहन की कमाई पर टिका हो? ईमानदार होने के कारण वकालत मे