अपने- पराए: बेरोजगार पति के साथ रहने वाली पत्नी के दुख
उस दृश्य को भूलना आसान नहीं है, जिसमें आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए जाने से आहत पत्नी ( शबाना आजमी ) अपने पति से कहती है कि कुछ भी करो, कोई भी काम करो, ताकि पैसे आ सकें। वह एक आत्मग्लानि से तड़पती स्त्री है, जिसकी आंखों में आंसू नहीं, लेकिन दर्द का अथाह सागर है। By Gulzar Hussain संयुक्त परिवार में बेरोजगार पति के साथ रहने वाली पत्नी के दुख और निरंतर अपमानित होने की वेदना को समझ पाना आसान नहीं है। एक घरेलू स्त्री के इस दुख को आत्मसात करते हुए सिनेमा के पर्दे पर साकार कर देना तो और भी कठिन काम है, लेकिन शबाना आजमी ने इसे बड़ी शिद्दत से कर दिखाया है। शरतचंद्र के उपन्यास ‘निष्कृति’ पर आधारित बासु चटर्जी के निर्देशन में 1980 में बनी फिल्म ‘अपने- पराए’ की कहानी तीन भाइयों और उनकी पत्नियों के इर्द- गिर्द घूमती है। इसमें शीला की भूमिका में शबाना आजमी ने सबसे छोटे और बेरोजगार भाई की पत्नी का किरदार निभाया है। फिल्म का एक दृश्य आत्मग्लानि और स्वाभिमान के बीच जूझती एक घरेलू स्त्री के संघर्ष और व्यथा को शबाना पूरी तरह अपने किरदार में उतारती हैं। घर के सदस्यों की ओर से पति (अ