साहित्य में नक्सलबाड़ी आंदोलन की आग

आलेख : गुलज़ार हुसैन 'हमलोग जब आए तो हमारे लिए आइडियोलॉजिकल ग्राउंड नक्सलबाड़ी था। यानी हमलोग वेणु गोपाल और आलोक धन्वा को पढ़ते हुए आए थे और उसी से प्रेरणा पाकर हम मार्क्सवादी हुए,ये संपत्ति हमें विरासत में मिली। नक्सलबाड़ी से राजनैतिक मतभेद थे पर आइडियोलॉजिकल मतभेद न थे। - राजेश जोशी पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में १९६७ में शुरू हुए सशस्त्र आंदोलन से न केवल सामान्य जन -जीवन में बदलाव आया,बल्कि देश का साहित्य भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। विभिन्न भारतीय भाषाओं में रच...