वे देश को बगीचा बनाना चाहते थे
Photo by Pratik Chauhan on Unsplash By Gulzar Hussain वे भारत को एकता -भाईचारे की खुशबू से गुलज़ार बगीचा बनाना चाहते थे.... हां, महात्मा गांधी देश को ऐसा बगीचा बनाना चाहते थे, जहां सभी तरह के फूल खिलें और लहलहाएं। वे भारत को प्यार के फूलों से ऐसे संवारना चाहते थे कि दुनिया का हर देश ऐसा ही बनना चाहे। देश के वंचितों और माइनॉरिटीज को खुशहाल देखने की यही उनकी जिद्दी दृष्टि उन्हें अन्य समकालीन नेताओं के बीच प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। रूसी लेखक अ. गोरेव और जिम्यानीन की पुस्तक 'नेहरू' में गांधी के इस मानवतावादी सोच का जिक्र है। इस पुस्तक में लिखा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद (1948) जब देश में साम्प्रदायिक दंगे फैल गए, तो गांधी ने बेहद गुस्से में नेहरू, आज़ाद और पटेल को बुलाया। फिर गांधी ने पटेल से पूछा कि रक्तपात बंद करवाने के लिए आप क्या कर रहे हैं? तब पटेल ने कह दिया कि दंगों की खबरें अतिरंजित हैं और ये बेबुनियाद शिकायतें हैं। यह सुनकर गांधी स्तब्ध रह गए और बोले- "मैं कहीं चीन में नहीं, यहां दिल्ली में ही रहता हूं और मेरे आंख कान अभी दुरुस्त हैं। आप चाहते हैं कि मैं अ