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Showing posts from August 7, 2016

तुम्हारे गुलमोहर पर अब कभी कोयल नहीं आती

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Photo by Abhijit Pattnaik on Unsplash -गुलज़ार हुसैन  घर में बंदूक रखने से कभी सोचा कि क्या बिगड़ा? तुम्हारे गुलमोहर पर अब कभी कोयल नहीं आती *** कलम उठाई है तो इस कलम का मान तुम रखना भले कट जाए गरदन, इंसाफ की जुबान तुम रखना *** आंखें हैं, दिल है और लब भी साथ है मेरे तो कैसे चुप रहें, इंसान पर जब जुल्म होता हो *** वे हमारी पीठ पर कोड़े चला के हार गए किसी को मार के कुछ भी नहीं जीता जाता *** वंचित जनों की पीठ पर चाबुक चलाते हो अरे कैसे फिर भारत माता की जय गाते हो *** तुम्हारे खेत, तुम्हारे बाग-बगीचे, तुम्हारे ही पोखर आओ, दलित-पसमांदा की नजरों से ये दुनिया देखो *** वतन के लिए जिसने अपनी जान तक दे दी उसके लिए तूने मसान का एक कोना नहीं दिया *** सफर अधूरा, प्यार अधूरा, हर मुलाकात अधूरी ही रही मगर वतन को और बेहतर बनाने का ख्वाब अधूरा न रहे *** फुटपाथ पर चलो तो कदम आहिस्ता से रखना सियाह रात में थक कर यहां मजदूर सोते हैं *** उसके होंठों पे थी मुस्कान और आंखों में दर्द था दिल ने कहा, गर प्यार है तो आंखों को चूम लो *

प्रेम जहां है ‘सैराट’ वहां है

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By Gulzar Hussain नागराज मंजुले की मराठी फिल्म ‘सैराट’ (Sairat) ने सफलता के झंडे तो गाड़े ही है, साथ ही इस फिल्म ने हमारे समाज में तेजी से फैलती जा रही आॅनर किलिंग जैसी बड़ी समस्या को भी सामने रखा है। हाल ही में नवी मुंबई में प्रेम संबंध को लेकर एक दलित लड़के की हत्या कर दी गई। इस हत्या से मुंबई सहित महाराष्ट्र भर के लोग सन्न रह गए  हैं। इस हत्या के बाद फिर से लोगों में आॅनर किलिंग को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। इस हत्या ने लोगों में यह बात गहरे से बैठा दी है कि ‘सैराट’ हमारे  समाज की कड़वी सच्चाई है और जहां कहीं भी प्रेम है वहीं पर ‘सैराट’ (ऑनर किलिंग) भी है। प्रेम की अनगिनत गलियों में ‘सैराट’ के कांटे उगे हुए हैं। इससे सतर्क रहने की जरूरत है।दरअसल सैराट का मतलब तो दीवाना हो जाना होता है, लेकिन हम यहां सैराट का मतलब आॅनर किलिंग मान कर चल रहे हैं। ( Sairat  फिल्म का एक दृश्य/ File Photo)  पर्श्या की तरह मारने की  धमकी  नवी मुंबई में दलित लड़के की हत्या किए जाने के बाद कई तरह की बातें सामने आई हैं। आरोप है कि दलित लड़के को  ‘सैराट’ के पर्श्या की तरह ही मार डालने की  धमकी द