ग्राहम स्टेंस को याद करने का महीना है जनवरी
By Gulzar Hussain जनवरी भले कुछ लोगों के लिए जश्न मनाने का महीना हो, लेकिन यह एक ऐसा महीना भी है, जिसमें फादर ग्राहम स्टेंस (Graham Staines) हमसे बिछड़ गए थे ...वही स्टेंस जिन्होंने अपने जीवन के 34 वर्ष उड़ीसा के गरीबों-वंचित जनों की सेवा में खपा दिए ...वही स्टेंस जिन्होंने बेसहारा कुष्ठ रोगियों को आश्रय देने और देखभाल के लिए लेप्रसी होम खोला और खुद अपने हाथों से लोगों के घाव साफ करते रहे। वे आस्ट्रेलिया की सुख- सुविधाओं से भरी जिंदगी छोड़कर 1965 में भारत आए थे और यहां की वंचित जनता की सेवा को ही अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया। Graham Staines/ File photo गरीब आदिवासियों और वंचित लोगों के कुष्ठ रोग के इलाज का जिम्मा उन्होंने तब उठाया था, जब भारत में इस बीमारी का इलाज काफी सहज नहीं था। उन्होंने 1982 में मयूरभंज लेप्रसी होम स्थापित किया और जी- जान से कुष्ठ रोगियों की सेवा में लग गए। स्टेंस की हमसफर बनीं ग्लैडीस स्टेंस भी उनके काम में हाथ बंटाने लगी। वे दोनों अपने बच्चों के साथ उड़ीसा के अत्यंत पिछड़े इलाकों में घूम-घूम कर बेसहारों की मदद करते थे। ...लेकिन 22 जनवरी, 1999 को