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कहानी : नदी के किनारे

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AI ART कहानी : नायला अदा फरहत लंबे बालों वाली लड़की थी। वह चलती तो लोग उसके लंबे लहराते बालों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते थे। वह थी तो बहुत सीधी-सादी, लेकिन पढ़ने में तेज़ तर्रार। उसका गाँव अल्ताफपुर हरियाली और परंपराओं के लिए जाना जाता था। वहीं से लगे हुए एक दूसरे गाँव नूरपुर में रहता था एहसान खान। वह लंबा और गोरा युवक था। वह जब मोटरसाइकिल पर कॉलेज जाता तो लड़कियों की नज़रें उसी पर टिकी रहतीं। फरहत और एहसान की पहली मुलाकात कॉलेज की लाइब्रेरी में हुई थी, जब दोनों एक ही किताब के लिए हाथ बढ़ा बैठे थे – “अकबर और बीरबल की कहानियाँ।” दोनों झिझकते हुए मुस्कराए और किताब  साथ-साथ पढ़ने लगे। धीरे-धीरे मुलाकातें चाय की दुकानों, लाइब्रेरी के कोनों और कॉलेज के बागों में बदलने लगीं। एहसान की बातें मीठी थीं, और फरहत की आँखों में सपनों का समुंदर। बारिशों के दिन थे। पेड़ों के नीचे दोनों छाते की छांव में भीगते हुए भी बातों में खोए रहते। एहसान ने एक दिन फरहत का हाथ थामकर कहा, "तू जो कहेगी, वही करूंगा ज़िंदगी में। मैं सिर्फ़ तेरा हूँ।" फरहत की आँखें भीग गईं। शायद बारिश से, शायद एहसान के वादो...