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Showing posts from August 11, 2019

महाराष्‍ट्र के भगत सिंह थे कुर्बान हुसैन

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शहीद कुर्बान हुसैन / फोटो : टीवी न्‍यूज से साभार ...वे भगत सिंह की तरह ही नौजवानों को जागरूक करने वाले लेख लिखा करते थे ...वे भी भगत सिंह की तरह ही न्‍यायप्रिय पत्रकार थे, लेकिन  महाराष्‍ट्र के बड़े- बड़े नेता स्‍वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण करते हुए शहीद कुर्बान हुसैन का एक बार नाम लेना तक भी भूल जाते हैं।   By Gulzar Hussain भगत सिंह की तरह ही कम उम्र में वतन के लिए फांसी के फंदे को चूमने वाले कुर्बान हुसैन को आज महाराष्‍ट्र के लोग ही भुला बैठे हैं। आज स्‍वतंत्रता दिवस पर मैं यदि यह कहना चाहता हूं कि हुसैन महाराष्‍ट्र के भगत सिंह थे, तो इसके पीछे केवल यह तर्क ही नहीं है कि वे भगत सिंह की तरह ही कम उम्र में वतन के लिए जान देने वाले क्रांतिका री थे, बल्कि मैं यह कहना चाहता हूं कि वे भी भगत सिंह की तरह ही नौजवानों को जागरूक करने वाले लेख लिखा करते थे। वे भी भगत सिंह की तरह ही न्‍यायप्रिय पत्रकार थे। 1910 में सोलापुर में जन्‍में कुर्बान हुसैन महाराष्‍ट्र के भगत सिंह थे, लेकिन आप गौर कीजिएगा, तो पाइएगा कि महाराष्‍ट्र के बड़े- बड़े नेता स्‍वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण करते हुए शहीद

रुकाे-रुको, प्रेमचंद के उपन्यास को मत जलाओ

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फोटो : 'तमस' फिल्म का दृश्य "...रुको! रुको! यह प्रेमचंद का उपन्यास है। इसे मत जलाओ!" ...क्या आपको याद है वह रोंगटे खड़े कर देने वाला दृश्य...भीष्म साहनी के उपन्यास 'तमस' पर बनी गोविंद निहलानी की फिल्म का वह दृश्य?  ...दंगाईयों की भीड़ लाठी -भाला लिए हुए एक प्रोफेसर के घर में घुस आती है ...भीड़ सबसे पहले प्रोफेसर की किताबों पर हमला करती है ...उन्मादी भीड़ किताबों से भरे रैक को गिरा देती है।  भीड़ जब प्रोफेसर को एक ओर पटक देती है तो प्रोफेसर बोल उठता है- "...आप सब जानते हैं मुझे ...मैं प्रोफेसर हारून ...साहित्य पढ़ाता हूं..." उन्मादी भीड़ उनका कुछ नहीं सुनती ...भीड़ किताबों पर पेट्रोल छिड़कने लगती है... तब प्रोफेसर चीख पड़ता है- "...यह मेरे जीवन भर की पूंजी है...इन्हें मत जलाओ..." प्रोफेसर एक पुस्तक उठाता है और दंगाइयों को दिखाते हुए कहता है- " यह देखो ...प्रेमचंद का उपन्यास ...इसे मत जलाओ..." प्रोफेसर कुछ और किताब उठाते हुए भीड़ को साहित्यकारों के नाम याद दिलाता है, लेकिन भीड़ आखिरकार सारी पुस्तकें फूंक देती है।