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Showing posts from October 27, 2024

सत्य की खोज करती हैं पंकज चौधरी की कविताएं : गुलज़ार हुसैन

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सेतु प्रकाशन से प्रकाशित पंकज चौधरी का कविता संग्रह गुलज़ार हुसैन बहुत पहले जब मैं पटना में पंकज चौधरी से मिला था, तब मैं कभी उनके टेबल पर अधखुली रखी मोटी सी फैज की किताब की ओर देखता था और कभी उनके चेहरे की ओर देखता था ...उस दिन वे जातिवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री विरोधी मर्दवाद की जमकर धज्जियां उड़ा रहे थे। उनके बोलने का अंदाज ऐसा था कि उस दिन मैंने यह समझ लिया था कि यह कवि जब भी कलम उठाएगा, तो दुर्व्यवस्था और नाइंसाफी के खिलाफ मशाल ही जलाएगा। आज जब हाल ही में प्रकाशित उनके दूसरे काव्य संग्रह 'किस-किस से लड़ोगे' को पढ़कर उठा हूं, तो मेरी सोची हर बात सही साबित होती लग रही है। आज यह सबसे बड़ी सच्चाई है कि हिंदी पट्टी वाले राज्यों के अलावा दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रछन्न रूप से जातिवाद और सांप्रदायिक मुद्दों पर ही हो रहे हैं, लेकिन साथ ही हकीकत यह भी है कि जातिवाद जैसी खतरनाक सियासी हथियारों के खिलाफ साहित्य जगत में एक सन्नाटा सा पसरा है। ऐसे समय में 'किस-किस से लड़ोगे' काव्य संग्रह वर्तमान परिदृश्य में साहित्यिक-क्रांति की शुरूआत की तरह सामने आई है। मैं इस संग्रह को प...

गुलज़ार हुसैन की कविताएं आपका चैन छीन सकती हैं : पंकज चौधरी

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न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से प्रकाशित गुलजार हुसैन की पुस्तक  पंकज चौधरी   "एक अच्छी कविता वह है जिसे पढ़ते हुए कोई रो दे लेकिन उससे भी अच्छी कविता वह है जिसे पढ़ते हुए मन कुछ बेहतर करने की तड़प से भर जाए।" उपर्युक्त काव्य पंक्तियां प्रखर कवि-पत्रकार गुलजार हुसैन की हैं। गुलजार की कविताएं हमें प्रेरित करती हैं। वे हमें जगाने का काम करती हैं। वे उन योद्धाओं में जज्बा भरने का काम करती हैं जो असफल, हताश और निराश होकर बैठ जाना चाहते हैं। वे कुंवर नारायण के शब्दों में कहना चाहती हैं कि हारा वही जो लड़ा नहीं। ये उनकी कविताएं हैं जो किसी भी बाधा, अड़चन, मुश्किल और चुनौती में रुका नहीं। सवाल यह पैदा होता है कि जो कवि इतनी हिम्मत, बहादुरी, धैर्य और दूर-दृष्टि से लैस होने की बात अपनी कविता में करता है, आखिर उसका राज क्या है? इसका जवाब है कि गुलजार का जन्म एक अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ। मजदूरी करके पढ़ाई-लिखाई की। नौकरी की तलाश में मुंबई जैसे महानगर पहुंचे। वहां भी कुछ दिनों तक मजदूरी की। ट्यूशन पढ़ाया। स्कूलों में नौकरी की। छोटी-छोटी पत्र-पत्रिकाओं के लिए रिपोर्टिंग की। उनके संपादकीय विभ...