सत्य की खोज करती हैं पंकज चौधरी की कविताएं : गुलज़ार हुसैन

सेतु प्रकाशन से प्रकाशित पंकज चौधरी का कविता संग्रह गुलज़ार हुसैन बहुत पहले जब मैं पटना में पंकज चौधरी से मिला था, तब मैं कभी उनके टेबल पर अधखुली रखी मोटी सी फैज की किताब की ओर देखता था और कभी उनके चेहरे की ओर देखता था ...उस दिन वे जातिवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री विरोधी मर्दवाद की जमकर धज्जियां उड़ा रहे थे। उनके बोलने का अंदाज ऐसा था कि उस दिन मैंने यह समझ लिया था कि यह कवि जब भी कलम उठाएगा, तो दुर्व्यवस्था और नाइंसाफी के खिलाफ मशाल ही जलाएगा। आज जब हाल ही में प्रकाशित उनके दूसरे काव्य संग्रह 'किस-किस से लड़ोगे' को पढ़कर उठा हूं, तो मेरी सोची हर बात सही साबित होती लग रही है। आज यह सबसे बड़ी सच्चाई है कि हिंदी पट्टी वाले राज्यों के अलावा दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रछन्न रूप से जातिवाद और सांप्रदायिक मुद्दों पर ही हो रहे हैं, लेकिन साथ ही हकीकत यह भी है कि जातिवाद जैसी खतरनाक सियासी हथियारों के खिलाफ साहित्य जगत में एक सन्नाटा सा पसरा है। ऐसे समय में 'किस-किस से लड़ोगे' काव्य संग्रह वर्तमान परिदृश्य में साहित्यिक-क्रांति की शुरूआत की तरह सामने आई है। मैं इस संग्रह को प...