बदलता मौसम : लघुकथा

Meta AI Image by Shamima Hussain लघुकथा : शमीमा हुसैन आज जुलाई की बारह तारीख है। कल से झमाझम बारिश हो रही है। फिजा कल काम से आई और सीधे बिस्तर पकड़ ली। माँ ने उसे रात को नौ बजे खाने के लिए उठाया। फिजा ने करवट बदलते हुए आंखें खोली और माँ की ओर देखते हुए कहा, ''मैं थोड़ी देर में आती हूं।'' आधा घंटा हो गया, पर फिजा खाने के लिए नहीं आई। माँ फिर आई और कहा, ''चलो फिजा खाना खा लो।'' फिजा ने आंखें मलते हुए कहा, ''हां अम्मी, भूख तो जोरों की लगी है। चलो।'' फिजा दुपट्टा उठा कर चलने लगी। वह मुश्किल से दो कदम ही चली होगी कि उसे चक्कर आया और वह नीचे बैठ गई। ''अरे क्या हुआ तुझे?'' मां ने उसे झुककर उसे संभालते हुए पूछा। फिजा ने उसके चेहरे की ओर देखा। ''सुन, तू कल छुट्टी ले ले और आराम कर ले। थक जाती है।'' मां ने उसे उठाते हुए कहा। फिजा ने खाते हुए सोचा कि चार, पांच दिन पहले से ही उसे पीरियड आने की तकलीफ शुरू हो जाती है। चक्कर आने से पूरे बदन में दर्द और दोनों पिंडलियों में टेटनी होने लगती है। आज भी ऐसा ही हाल था उ...