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कहानी: डिटेंशन कैंप सेवा

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Photo by  Shail Sharma  on  Unsplash कहानी: गुलजार हुसैन  (S hort story by Gulzar Hussin ) लोगों ने उसके गले में देखा कि एक पट्टी लटक रही है। उस पर बहिष्कृत नंबर119 लिखा है। साथ ही और कई तरह के संदेश उस पट्टी में छोटे- छोटे अक्षरों में लिखे थे। लोग जब आश्वस्‍त हो गए कि वह बहिष्‍कृत है, तो सब ठठाकर उसपर हंसने लगे। भीड़ में से एक व्‍यक्ति ने उसकी तरफ थूक भी दिया।  वह उतरने के समय ट्रेन से गिर गया था। लोगों ने समझा था कि वह उतरते समय ट्रेन से प्‍लेटफार्म पर इसलिए गिर गया था, क्‍योंकि वह गेट पर लटकने वाला लापरवाह आदमी था। लेकिन यह बात सही नहीं थी। ऐसा लगता था कि ट्रेन से उतरते समय पीछे से भीड़ का धक्‍का लगने से वह गिर गया होगा। लोगों ने यह तो साफ- साफ देखा ही था कि चढ़ने वालों की भीड़ से उसके हाथ और पैर कुचल गए थे। उस भीड़ में से किसी ने उसे उठाया नहीं था। दरअसल कोई उसे उठा भी नहीं सकता था। लोकल ट्रेन पल भर में खुल जाती है, इसलिए पीक आवर में चढ़ने- उतरने वाली भीड़ की बड़ी तेज गति होती है। इस तेज गति में कोई अनजान आदमी खुद को संभाल नहीं सकता। अगर उस पल कोई गिर जाए तो कोई उसे उ