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कुपोषित बच्चों को पहचानना बहुत कठिन तो नहीं है

                                                                                 आलेख : गुलज़ार हुसैन * कुपोषण की समस्या भीषण गरीबी और सरकारी -राजनीतिक उपेक्षा से लगातार बढ़ती जा रही है,लेकिन इसके बावजूद यह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए सबसे प्रमुख मुद्दा नहीं हैं । पिछले दिनों महाराष्ट्र के विभिन्न राज्यों में बढ़ती कुपोषण की समस्या का मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा है। विधानपरिषद में भी कुपोषण को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विधानपरिषद में विपक्ष ने पिछले नौ महीनों के दौरान महाराष्ट्र में कुपोषण से चार हजार बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया। पि छले कुछ दशकों में कुपोषण देश के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यह बीमारू प्रदेशों,आदिवासी इलाकों के अलावा महानगरों और विकास का डंका पीटने वाले राज्यों में भी गंभीर रूप में मौजूद है। अगर आप बिहार या उत्तर प्रदेश के गांवों- देहातों में कुपोषित बच्चों को देख रहे हैं, तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र और गुजरात में भी कुपोषण से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के विभिन्न राज्यों में बढ़ती कुपोषण की समस्या का मुद्दा चर्चा का विष