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Showing posts from November 18, 2018

क्‍या देशवासियों को लड़ाने की साजिश है मंदिर- मस्जिद की राजनीति? क्‍या कहता है संविधान?

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संविधान के अनुच्‍छेद 51(क) के अंतर्गत सभी नागरिकों का यह कर्तव्‍य है कि वे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्‍ण रखें।  By  Gulzar Hussain देश की एकता (Unity) और भाइचारे के ताने- बाने को छिन्‍न भिन्‍न करने की साजिश रचना देश के साथ गद्दारी है। किसी भी राजनीतिक पार्टी या संगठन को यह अधिकार नहीं है कि वह देश की एकता और संप्रभुता के साथ किसी भी बहाने खिलवाड़ करे। चाहे वह धर्मांधता का बहाना हो या मंदिर- मस्जिद की राजनीति (Politics) हो, इन सबकी आड़ में देशवासियों को आपस में लड़ाने का खेल बेहद खतरनाक और घटिया है। Symbolic Photo by  rawpixel  on  Unsplash आज जिस तरह हमारे देश के न्‍यायप्रिय संविधान का अपमान करते हुए एक विशेष संगठन और पार्टी के लोग मंदिर- मस्जिद की राजनीति ( Ramjanmabhoomi-Babri Masjid  dispute )  के बहाने सांप्रदायिकता को हवा दे रहे हैं, वह बेहद खतरनाक है। भारत के लोगों का इसी मंदिर- मस्जिद की राजनीति (Mandir Masjid politics) के नाम पर पहले भी बहुत अहित हुआ है, इसलिए जनता को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। जिस तरह पिछले दिनों कई नेताओं की त

देशवासियों की सुरक्षा के लिए अयोध्‍या में फौज तैनात करने की अखिलेश की सलाह कितनी वाजिब?

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By  Gulzar Hussain एक तरफ जहां भाजपा मंदिर- मंस्जिद की राजनीति में लगी है, वहीं दूसरी तरफ उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav)  ने इस मुद्दे पर जानमाल के नुकसान पर चिंता जताकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अखिलेश ने मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर आगे बढ़ रही भाजपा के बारे में कहा है कि वह किसी हद तक जा सकती है, इसलिए उन्‍होंने अयोध्‍या में फौज लगाकर लोगों सुरक्षा करने की मांग की है। ऐसे समय में जब चुनाव प्रचार को लेकर सभी पार्टियां अपनी- अपनी राह तलाश रही हैं, तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव की यह चिंता कितनी वाजिब है? File photo: Akhilesh Yadav  यह तो स्‍पष्‍ट दिखाई दे रहा है कि भाजपा अपने 'सबका साथ सबका विकास' के मुद्दे से पूरी तरह पीछा छुड़ाकर मंदिर- मस्जिद की राजनीति को उभारने पर लगी है।  यह तो स्‍पष्‍ट दिखाई दे रहा है कि भाजपा अपने 'सबका साथ सबका विकास' के मुद्दे से पूरी तरह पीछा छुड़ाकर मंदिर- मस्जिद की राजनीति को उभारने पर लगी है। ज्‍यादातर टीवी चैनल्‍स पर भी इसी मुद्दे को हवा दी जा रही है, और एक तरह की सांप्रदायिक राजनीति के पैर पस

निदा फ़ाज़ली: मीठी आवाज वाले शायर

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...उस समय कई लोग साहित्यकार साजिद रशीद के जनाजे में शामिल होने के बाद लौट रहे थे। मैं भी वहीं से लौट रहा था। मैं पत्रकार मित्र अरुण लाल के साथ बातें करता हुआ चल रहा था, तभी मैंने उनको प्लेटफार्म पर बैठे हुए देखा। Symbolic Photo by  Debby Hudson  on  Unsplash By Gulzar Hussain मैं उस मीठी आवाज वाले शायर से मुंबई के रे रोड स्टेशन पर मिला था। तब हमेशा की तरह उनका चेहरा किसी बच्चे की तरह खिला-खिला नहीं था।  हां, उस रोज निदा फ़ाज़ली ( Nida Fazali)   साहब उदास बैठे थे। ... उस समय कई लोग साहित्यकार साजिद रशीद के जनाजे में शामिल होने के बाद लौट रहे थे। मैं भी वहीं से लौट रहा था। मैं पत्रकार मित्र अरुण लाल के साथ बातें करता हुआ चल रहा था, तभी मैंने  निदा फ़ाज़ली को प्‍लेटफार्म  पर बैठे हुए देखा। वे भी साजिद रशीद के जनाजे में शामिल होने के बाद ट्रेन पकड़ने वहां आए थे। हम  तेजी से उनकी ओर लपके और बातें करने लगे। वे हमारी सभी बातों का जवाब बहु त सहजता से देने लगे।  मैंने उनसे साजिद रशीद के जनाजे में कई बड़े साहित्यकारों- पत्रकारों के नहीं पहुंचने की बात कही, तो उ

Demonetisation: नोटबंदी को सही ठहराने के लिए 'बेटे की मौत से उबरने' जैसे बयान का सहारा क्‍यों?

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BY  Gulzar Hussain एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी (Demonetisation) को सही ठहराने के लिए 'बेटे की मौत से उबरने' जैसा भाषण दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कृषि मंत्रालय ने माना है कि नोटबंदी से किसानों को संकट का सामना करना पड़ा है। हालांकि मीडिया में नोटबंदी से हुई किसानों की दुर्दशा की खबर फैलने के बाद कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अपने एक ट्वीट में इन तथ्‍यों से इनकार कर दिया है। तो अब ऐसी दोमुंही स्थिति में पीएम मोदी की बात का क्‍या मतलब निकाला जाए? क्‍या नोटबंदी को सफल बताने का पैमाना काले धन का आंंकड़ा प्रस्‍तुत करना नहीं होना चाहिए था, जिस पर तो कोई बयान ही नहीं दिया जा रहा है। File Photo खबर है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मोदी लगभग 25 रैलियां कर रहे हैं, जिनमें वे मुख्‍य निशाने पर कांग्रेस को रखकर चल रहे हैं। एक रैली में मोदी ने नोटबंदी का बखान करते हुए कह दिया कि केवल कांग्रेस परिवार को नोटबंदी से तकलीफ हुई है क्‍योंकि उनके जमा रुपए निकल आए। इसके अलावा उन्‍होंने कहा कि जवान बेटे की मौत से बूढ़ा बाप एक साल मे

राज कपूर और नर्गिस के प्रेम-दृश्यों में बिखरा दर्द

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नायिका (नर्गिस) की बेचैन आंखों में बचपन के साथी के मिल जाने से जो स्वतःस्फूर्त समर्पण का भाव उमड़ता है, वह प्रेम में पड़ी स्त्री के विद्रोह को भी दर्शाता है। BY  Gulzar Hussain पचास के दशक की चर्चित फिल्‍म 'आवारा' ( Awaara)  में राजकपूर   ( Raj Kapoor ) और नर्गिस   ( Nargis ) के प्रेम -दृश्य जितने सुहाने लगते हैं, उससे अधिक उन दृश्यों में कोई दुःख पसरा प्रतीत होता है। इनके प्रेम-दृश्यों में आप कई बार एक चुभता सा दर्द महसूस कर सकते हैं।   Awaara  का एक दृश्‍य/ साभार File photo एक घुटन सा या कोई अपराध बोध वहां रोमांटिक दृश्यों पर हावी होता सा प्रतीत होता है। राजकपूर की फीकी और रहस्यमयी मुस्कान उसके बचपन की तकलीफों को सामने लाती है। दूसरी ओर नायिका (नर्गिस) की समर्पित मुस्कान और आनंदातिरेक में डूबती आंखों में एक मंजिल पा जाने की झलक मिलती है। नर्गिस की बेचैन आंखों में बचपन के साथी के मिल जाने से जो स्वतःस्फूर्त समर्पण का भाव उमड़ता है, वह प्रेम में पड़ी स्त्री के विद्रोह को भी दर्शाता है। वह अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से ढक लेता है और धीरे -धीरे हथेलियों को खिसका कर उ

क्‍या चाहते हैं लालू यादव के खिलाफ साजिश रचने वाले? CBI निदेशक के भंडाफोड़ से उठे सवाल

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नीतीश के नाक के नीचे हुआ यह खेल, कितना रंग लाएगा तेजस्‍वी यादव का गुस्‍सा? लालू यादव बिहार चुनाव के दौरान 'बंच ऑफ थॉट्स' लेकर घूम रहे थे  पुख्‍ता सबूत नहीं होने के बावजूद मामला दर्ज कराने के लिए बेहद जल्‍दबाजी  अपने खास बिहारी अंदाज से दिया था झटका BY  Gulzar Hussain CBI निदेशक आलोक वर्मा ने बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू यादव के खिलाफ रची जा रही साजिश का भंडाफोड़ कर भाजपा के बड़े नेताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं इस मुद्दे को लेकर सबसे जरूरी सवाल यह है कि आखिर लालू यादव के खिलाफ साजिश रचने वाले चाहते क्‍या हैं? वर्मा ने यह भी आरोप लगाया है कि बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को इन सारे मामले की जानकारी थी। इस खुलासे के बाद आक्रोशित राजद नेता तेजस्‍वी यादव ने भाजपाइयों के साथ- साथ नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा है। दूसरी ओर इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी तूफान मच गया है। लालू यादव के समर्थन में लोग खुलकर लिख रहे हैं। सफलता के दिनों की खुशी/ File photo: Lalu yadav CBI निदेशक आलोक वर्मा ने जिस तरह पीएमओ के साथ बिहार के भाजपा नेता सुशील मोदी पर ला