लघुकथा : उसकी पीठ की धारियां

Meta AI Image उसने जिस दिन अपनी पीठ दिखाई थी, उस दिन हम फिर से स्कूल की पीछे छूट गई दुनिया में लौटने लगे. उसकी पीठ पर जेब्रा के शरीर की तरह धारियां थीं. पूरी पीठ धारियों से भरी थी. ये धारियां हल्की थीं, लेकिन स्थायी थीं. ये धारियां उसे स्कूल के किसी भयावह दिन में ले गईं. वह मेरी ओर बिना देखे बोलता रहा और मैं आश्चर्य से उसके चेहरे को पढ़ता रहा. यह उन दिनों की बात थी जब हम दोनों आठवीं कक्षा में थे. किसी दिन उसने अपना होमवर्क ठीक से नहीं किया था. शायद इतनी सी ही बात थी या इससे भी छोटी कोई वजह. अंग्रेजी का वह शिक्षक उस दिन किसी निर्दयी हमलावर में तब्दील हो गया था. मजबूत छड़ी से शिक्षक ने उसकी पीठ पर वार करना शुरू किया. वह चीख रहा था ...गिड़गिड़ा रहा था, लेकिन उसने एक नहीं सुनी. वह तबतक उसे पीटता रहा जब तक उसकी शर्ट खून से लाल नहीं हो गई. टिफिन की घंटी बजी, तो छड़ी थम गई, लेकिन उसकी सिसकियाँ नहीं थमीं. मैं दूसरे सेक्शन में था इसलिए मुझे कुछ पता नहीं था. 'लेकिन तुमने उसका विरोध क्यों नहीं किया?' मैंने पानी का ग्लास अपने होंठों से लगाते हुए कहा. उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, 'उस उ...