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Showing posts from December 30, 2018

सावित्रीबाई फुले के योगदानों पर क्‍यों होती रही पर्दा डालने की साजिश?

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By Gulzar Hussain सबसे पहले सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule, 3 January 1831– 10 March 1897) ने ही भारतीय स्त्रियों की राह में बिखरे अशिक्षा के नुकीले कांटों को हटाया था। वह पहली महिला शिक्षक थीं, लेकिन एक साजिश के तहत उनके उल्‍लेखनीय योगदानों की जानकारी को लंबे समय तक जनता के बीच नहीं आने दिया गया। उत्‍तर भारत में तो स्‍त्री शिक्षा के क्षेत्र में इनके किए गए महान कार्यों के बारे में छात्रों को भी ठीक से नहीं बताया गया। ऐसा क्‍यों हुआ, यह एक गंभीर अध्‍ययन का विषय है। सावित्रीबाई फुले ताकतवर जातीय समूहों ने किया था विरोध गौरतलब है कि ब्रिटिश कालीन भारत में ताकतवार जातीय समूहों ने समस्त ज्ञान पर नियंत्रण कर स्त्रियों के सामने अशिक्षा की मजबूत बेड़ियां डाल रखी थी। ऐसे समय में जब लड़कियों के लिए शिक्षा की बात कहना भी अपराध समझा जाता था, तब सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों को शिक्षित करना शुरू किया। ताकतवर जातीय समूहों ने इसका जोरदार विरोध भी किया, लेकिन वह नहीं रुकी। वे स्त्रियों को न केवल शिक्षित कर रही थीं, बल्कि कविताएं लिखकर विधवा विवाह का समर्थन और छुआछूत मिटाने जैसे उल्लेखनीय का

फेसबुक पर उठी आवाज़, नए साल में हो नया आगाज़

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प्रस्‍तुति: Gulzar Hussain नया साल दबे पांव नहीं आया है, बल्कि डंका बजाता हुआ आया है। नया साल साफ- साफ कह रहा है कि पिछले साल राहों में जो कांटे बिखरे थे, वह इस साल में चुन कर फेंक दो, वरना मंजिल तो दूर, दो कदम भी नहीं चल पाओगे। दरअसल, नई पीढ़ी जानती है कि आगे किन चुनौतियों से उसे जूझना है। जब मैंने फेसबुक पर यह सवाल रखा कि नए साल में आपको देश में क्‍या नया चाहिए, तो लोगों ने एक से बढ़कर एक बातें कहीं। आइए, खुद देख लीजिए कि देश में लोग क्‍या नया चाहते हैं।  Photo by  Prashanth Pinha  on  Unsplash किसानों के गले में फंदे न पड़े इस साल  सरिता ज्‍योत्‍सना ( Sarita Snigdh Jyotsna )   ने लिखा है 'कृषकों के गले में न फंदे पड़े इस साल!'  बी.एल. 'पारस'   ने कहा, 'जातिगत भेदभाव का खात्मा हो।'  प्रीति खरवार   ने लिखा है,  'संविधान सम्मत सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था.. एक शब्द में कहा जाय तो 'समानता'। वहीं परमिंदर सिंह ( Parminder Singh )  ने लिखा 'इंसान का इंसान से हो भाईचारा'। Prakash Jinde ने लिखा है, जाति, धर्म के नाम पर उत्पात म