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खातिया और हरी-भरी पगडंडियां

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BY GULZAR HUSSAIN खातिया एक दृष्टिहीन लड़की है, लेकिन उसके सपने उस गांव की हरियाली से अधिक चमकीले हैं। मासूम मुस्कान लिए खातिया अब भी नर्म घासों से भरी पगडंडियों पर दौड़ती हुई आती है और अचानक किसी बगीचे में गुम हो जाती है। हां उसका एक  प्रेमी भी था। कहा जाता है कि लोग अपना पहला प्यार नहीं भूल सकते हैं, तो बचपन में पढ़ा गया पहला उपन्यास और उसके पात्रों को कैसे भूल सकते हैं। मैं भी नहीं भूला। मुझे उस उपन्यास के गांव की हरी-भरी पगडंडी याद है ...उस गांव के मेहनती और बेहद आत्मीय लोग याद हैं ...उस गांव की अल्हड़ और हंसमुख लड़कियां याद हैं  ...बेलगार की पनचक्की याद है ...और संगमरमर से सफेद कपड़ों में रहने वाली सुंदर युवती खातिया की खिलखिलाहट याद है। उपन्यास में खातिया एक दृष्टिहीन लड़की है, लेकिन उसके सपने उस गांव की हरियाली से अधिक चमकीले हैं। मासूम मुस्कान लिए खातिया अब भी नर्म घासों से भरी पगडंडियों पर दौड़ती हुई आती है और अचानक किसी बगीचे में गुम हो जाती है। हां उसका एक  प्रेमी भी था। सोसोया। लेकिन मुझे उसका चेहरा ठीक से याद नहीं...उपन्यास की कहानी भी अब पूरी तरह याद नहीं है, लेकिन खातिया का