Posts

Showing posts from October 25, 2020

हिन्दी के पहले कवि को क्यों भुला दिया जाता है?

Image
By Gulzar Hussain हां, यह सच है कि हिन्दी में सबसे पहले कविता लिखकर अमीर खुसरो ने हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में अतुल्य योगदान दिया। आज हम जिस खड़ी बोली वाली हिन्दी का प्रयोग आम बोलचाल से लेकर साहित्य-फिल्म तक में करते हैं, उस भाषा में पहली बार खुसरो ही कलम चला रहे थे। दरअसल, विक्रमी 14वीं शताब्दी में सर्वप्रथम खुसरो ने खड़ी बोली (हिन्दी) का इस्तेमाल शुरू किया। उस दौरान वे जो कविताएं लिख रहे थे, वे बेहद सरल और पठनीय होने के कारण लोगों की जुबान पर चढ़ गई थी। वे सूफियाना कवि थे, इसलिए उनकी इंसानियत से भरी पंक्तियां लोगों के मन को छू जाती थी।  उनकी एक बानगी देखिए- खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि 'काहे को दीनो विदेस, सुन बाबुल मोरे' जैसे आज भी लोकप्रिय रहे गीत को उन्होंने ही कलमबद्व किया था। जब खुसरो की कविताएं हर ओर छा गई, तब गद्य में भी अन्य साहित्यकारों ने खड़ी बोली वाली हिन्दी को हाथों हाथ लिया। ...और फिर यह हिन्दी भाषा तो मुस्लिम-हिंदू सबकी बोलचाल की भाषा हो गई। हिन्दी को एक बड़े मकाम तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदा

भाईचारा और न्‍याय चाहने वाले नौजवान थे भगत सिंह

Image
By Gulzar Hussain नई पीढ़ी में भगत सिंह (Bhagat Singh) का लगातार लोकप्रिय होते चला जाना आज के 'ताकतवर नफरतवादी संगठन' के लिए निस्संदेह ईर्ष्या का विषय होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले ऐसे क्रांतिकारी नौजवान थे, जिसने अपनी कलम से भी भाईचारे और न्यायप्रियता की जरूरत को रेखांकित किया। 'साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज' और अछूत समस्या' जैसे उनके लिखे लेख आज भी बेहद प्रासंगिक हो गए हैं। भगत सिंह ने दलितों और माइनॉरिटी की सलामती की चिंता करते हुए क्रांति का बिगुल फूंका था। यह एक बड़ी बात थी। आज भी देश में पहले पहल ऐसी ही चिंतन की जरूरत है। आज जब माइनॉरिटी अपना अस्तित्व बचाने के लिए चिंतित है ...निजीकरण से दलितों के आरक्षण को मिटाया जा रहा है ...सेक्युलर और न्यायप्रिय संविधान पर खतरा मंडरा रहा है, तब निस्संदेह भगत सिंह की जरूरत वतन को है। भगत सिंह की राह मतलब इंसानियत की राह ...एकता भाईचारे की राह। और यह राह 'नफरती गैंग' नहीं चाहता, यह जग जाहिर है।  यह मानिए कि दंगाइयों, देश और संविधान को तोड़ने की साजिश रचने वालों और तिरंगे पर बुरी नजर रखने वाल

मंगल ग्रह पर फंसे युवक की कहानी

Image
By Gulzar Hussain इस फिल्म में भले मंगल ग्रह पर फंसे युवक की कहानी है, लेकिन उसके जीवित रहने का संघर्ष हमें देश में फैले कोरोना संकट से उबरने की प्रेरणा दे सकता है। एंडी वेयर के उपन्यास 'द मार्शियन' पर इसी नाम से बनी फिल्म जिजीविषा की अद्भुत दास्तान है। रिडले स्कॉट (Ridley Scott) के निर्देशन में बनी इस साइंस फिक्शन फिल्म में मंगल ग्रह पर गई अंतरिक्ष यात्रियों की एक टीम से अकेले छूट गए एक युवक की कहानी है, जो मौत को आंखों के सामने देखकर भी हिम्मत नहीं हारता। मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन नहीं है...खाने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी वह अंतरिक्ष यात्री युवक (astronaut's, Matt Damon) जिंदा रहने के लिए हरसंभव कोशिश करता है। ठीक वैसे ही जैसे आज कोरोना संकट में लोगों के पास न बैंक बैलेंस है न खाने।को रोटी... उस अंतरीक्ष यात्री को चिंता है कि उसके पास थोड़े बचे खाने, ऑक्सीजन और पानी के खत्म हो जाने के बाद वह कैसे बचेगा। ...तो फिर वह मंगल ग्रह के फर्श से मिट्टी लाकर एक जगह जमा करता है और अपने मल के सहारे आलू के पौधे उगाता है ...वैज्ञानिक प्रयोग से वह पानी बनाता है ....यह सब वह कैसे करता है, यह द

अंधेरी रात से उजाला पाने वाला शायर मजाज़

Image
By Gulzar Hussain "शहर की रात और मैं नाशादो- नाकारा फिरूं" ऐसी दिल छू लेने वाली पंक्तियां लिखने वाले मजाज़ का यह संकलन भले पुराना हो गया हो, लेकिन इसमें जो तूफान भरा है, वह मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। लोग उनकी शायरी की तरह-तरह से तुलना करते रहे हैं। कोई उन्हें कीट्स कहता रहा है, तो कोई शराबी, लेकिन मैं तो उन्हें पढ़कर जीने की अदम्य इच्छा से भर जाता हूं। अपनी एक नज़्म में वे अंधेरी रात का जिक्र ऐसे करते हैं, जैसे कोई जुल्मी पीठ पर ख़ंजर भोंक रहा हो, लेकिन वे निडर सीना तानकर चलेंगे। वे लिखते हैं- फ़ज़ा में मौत के तारीक साए थरथराते हैं हवा के सर्द झोंके कल्ब पर ख़ंजर चलाते हैं गुजिश्ता इशरतों के ख्वाब आईना दिखाते हैं मगर मैं अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता ही जाता हूं रात उनके लिए जुल्म का प्रतीक बनकर आता है, लेकिन रात में वे ऐसे आगे बढ़ते हैं, जैसे कोई प्रेमिका से मिलने के लिए बढ़ा जा रहा हो... आज की रात और बाकी है कल तो जाना ही है सफर पे मुझे...

राजनीतिक पक्षधरता क्या होती है?

Image
By Gulzar Hussain राजनीतिक पक्षधरता क्या होती है, आइये इस 13 साल की लड़की से जानते हैं। मेरे हाथ में जो किताब है, उसे 13 साल की उम्र में एन फ्रैंक ने लिखी थी। एन की तो क्रूर हिटलर ने हत्या करवा दी, लेकिन वह उसके विचार को नहीं मिटा सका। यह किताब दरअसल एन की डायरी है। इसमें 3 अगस्त, 1943 को वह लिखती है -  "डियर किट्टी, एक जबरदस्त राजनीतिक खबर है। इटली में फासिस्ट पार्टी को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कई जगहों पर लोग फासिस्ट के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।" यह चंद पंक्तियां एन की राजनीतिक पक्षधरता को दर्शाती है।  मैं यह कहना चाहता हूं कि जब देश भीषण संकट में हो ...संविधान, लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म सब पर गिद्ध दृष्टि साफ साफ नजर आए, तो राजनीतिक पक्षधरता एक जरूरी विषय होता है। दरअसल, कोई जब कहता है कि मैं तो निष्पक्ष हूं, तो वो झूठ बोलता है या उसके अंदर एक डर होता है। सच तो यह है कि खुद को निष्पक्ष कहकर वह सत्ता की हर नीति को स्वीकार करने का संदेश देता है। संकट के समय भी अगर कोई अपने पॉलिटिकल विचारों से क्रूरतम पार्टी का विरोध और सबल वैकल्पिक पार्टी का समर्थन नहीं कर पाए, तो उसके मन में च

SOCIAL MEDIA: लोगों की नजर में बिहार चुनाव के जरूरी मुद्दे

Image
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार जनता बदलाव लाने के मूड में दिखाई दे रही है। बेरोजगारी और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे बिहार के अधिकतर युवा आज भाजपा-जदयू सरकार से काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं। हमने फेसबुक पर लोगों से राय जाननी चाही कि आखिर बिहार में कौन-कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिसपर वोटिंग होगी। आइए देखते हैं कि लोगों ने फेसबुक पर कमेंट में कौन-कौन से मुद्दे गिनाए हैं। हमने सबकी राय को ठीक उसी क्रम में रखा है, जिस क्रम में वे कमेंट के रूप में आए। Mohammad Sharfe Alam  बिहार की स्थिति पर व्‍यंग्‍य करते हुए  कहते हैं- रोज़गार नहीं दे पाए, शिक्षा व्यवस्था नहीं सुधार पाए, भ्रष्टाचार बढ़ गया, कानून व्यवस्था बदतर हो गई। Pinki Gupta  कहती हैं- कोरोनाकाल में अस्पतालों की स्थिति बद्तर हैं और सबसे बड़ी बात वर्तमान स्थिति में युवाओं के पास रोज़गार नहीं है, उचित शिक्षा कि व्यवस्था नहीं हैं, किसानों की स्थिति ख़राब हैं। ज़ाहिर सी बात है, जनता इन तमाम समस्याओं से उबरना चाहती है। Brajesh Chandra  कहते हैं-देशहित के लिए बिहार में NDA की हार जरूरी है। Susanskriti Parihar  वोट करने की जरूरत बताते हुए क