देश के बारे में चिंता करने को गद्दारी का नाम न दो
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BY Gulzar Hussain
मैं यह जानता हूं कि नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) की बात का बतंगड़ बनाकर जो चंद कट्टरपंथी संगठन बवाल किए हुए हैं, उनकी बात को गंभीरता से लिया जाना ठीक नहीं है। मुझे यह भी पता है कि नसीर ने देश की स्थिति पर चिंता जताते हुए जो बात कही है, वह कट्टरपंथियों के लिए कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि नसीर यदि इससे हट कर कुछ और कहते तो भी उनके विरोध में इसी तरह नफरतवादी गिरोह को आग उगलना ही था।
लेकिन यदि वे कुछ और भी कहते, तो भी यह कट्टर गिरोह उन्हें ऐसे ही अपमानित करता। मसलन वे यदि बुलंदशहर पर न बोलकर अखलाक या जज लोया पर चिंता जताते या फिर दाभोलकर, गौरी लंकेश, रोहित वेमुला और गोविंद पानसरे को लेकर कुछ कहते तो क्या यह कट्टर गिरोह उन्हें चैन से रहने देता?नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने बुलंदशहर हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा था कि एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या से ज्यादा गाय पर ध्यान दिया जा रहा है। लेकिन यदि वे कुछ और भी कहते, तो भी यह कट्टर गिरोह उन्हें ऐसे ही अपमानित करता। मसलन वे यदि बुलंदशहर पर न बोलकर अखलाक या जज लोया पर चिंता जताते या फिर दाभोलकर, गौरी लंकेश, रोहित वेमुला और गोविंद पानसरे को लेकर कुछ कहते तो क्या यह कट्टर गिरोह उन्हें चैन से रहने देता?
भारतीय फिल्म में बेहतरीन अभिनय की कड़ी को उन्होंने न केवल मजबूत किया है, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय अभिनय कला को एक ठोस पहचान भी दिलाई है। इन सबके लिए उन्हें सम्मान दिया जाना चाहिए, तो कुछ कट्टर संगठन, उन्हें गद्दार ठहरा रहे हैं और पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट भेज रहे हैं।मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि नसीरुद्दीन शाह ने ऐसा क्या कह दिया कि कट्टरपंथी संगठनों ने उन्हें पाकिस्तान का टिकट तक भेज दिया। एक वरिष्ठ और बेहतरीन अभिनेता के अलावा एक जिंदादिल इंसान हैं नसीर। भारतीय फिल्म में बेहतरीन अभिनय की कड़ी को उन्होंने न केवल मजबूत किया है, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय अभिनय कला को एक ठोस पहचान भी दिलाई है। इन सबके लिए उन्हें सम्मान दिया जाना चाहिए, तो कुछ कट्टर संगठन जो कि एक ताकतवर पार्टी के बगलबच्चे हैं, उन्हें गद्दार ठहरा रहे हैं और पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट भेज रहे हैं। खैर, मैं यह हरगिज नहीं कहना चाहता हूं कि किसी बड़े अभिनेता को ही कुछ बोलने पर तंग नहीं किया जाए, बल्कि मैं यह भी कहना चाहता हूं कि देश की आम जनता को भी अपनी बात रखने के कारण परेशान नहीं किया जाए।
जो संगठन नसीर को पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट भेज सकता है, वह गुंडा भी तो भेज सकता है।यह सब बेहद डरावना तो है ही। भले ये चंद कट्टर संगठन मामूली हैं, लेकिन उन्हें जिस मजबूत संगठन और पार्टी की ओर से खाद-पानी मिल रहा है, वह क्या किसी से छुपा है। हाल ही में बुलंदशहर में ऐसे ही मामूली संगठन के गुंडों ने साजिश रची और हिंसा फैला दी। एक ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या तक कर दी गई। तो जो संगठन नसीर को पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट भेज सकता है, वह गुंडा भी तो भेज सकता है। गौरतलब है कि कल आगरा में लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने जा रहे नसीर को कार से उतरने नहीं देने लायक हिंसक स्थितियां बनाईं गईं। उनका जहां कार्यक्रम था, वहां तोड़फोड़ की गई।
इधर नसीर ने कहा कि वे तो बस अपने मुल्क के बारे में बात करते हुए अपनी चिंता जाहिर की है, लेकिन कट्टरपंथी भला यह क्या समझेंगे। फिलहाल आगरा में हुई गुंडागर्दी को ठीक से देखिए, तो सब पता चल जाएगा कि इन गुंडों को खाद- पानी कहां से मिलता है। यह देखिए कि ये गुंडे किस पार्टी से जुड़े हैं या किस पार्टी के समर्थक हैं, फिर आपको सब राज मालूम हो जाएगा।
एक पुरानी हिंसक घटना को याद कीजिए कि कैसे एक संगठन ने खुलेआम फादर ग्राहम स्टेंस को उनके दो बच्चों सहित जला दिया था, लेकिन उस संगठन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। आज उसी संगठन के एक पदाधिकारी पर बुलंदशहर हिंसा का आरोप लगा है। आप सोच सकते हैं कि कट्टरपंथी ताकतें आखिर किस ओर देश को ले जा रही हैं, लेकिन आपको बोलने की इजाजत नहीं है। आप जैसे ही बोलेंगे गद्दार ठहरा दिए जाएंगे।
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