सुनो लड़कियों : गुलज़ार हुसैन की एक कविता

Artist : Gulzar Hussain


सुनो, भ्रूण हत्या के आतंक का शिकार होने से बची लड़कियों
सुनो कि यह समय निश्चिंत होकर बैठने का नहीं है
यह समय बेहद सतर्क रहने का है
क्योंकि गिद्ध अब भी मंडरा रहे हैं

ये वही गिद्ध हैं
जो तुम्हारे जिस्म को
तुम्हारी मां के गर्भ में ही नोचना चाहते थे
और अब ये तुम्हारे बचपन की अल्हड़ता पर नजरें गड़ाए हैं

सुनो, युवा होती लड़कियों
गिद्ध कहीं दूर नहीं गया है
वह घर के बाहर भी हो सकता है
और घर के अंदर भी तुम्हें डरा सकता है
वह कार के अंदर से तुम्हें घूर सकता है
और सडक किनारे से फब्तियां कस सकता है

सुनो लड़कियों
वह गिद्ध तुम्हें शादी से पहले एक दोस्त के रूप में मिल सकता है
और प्रेमी के रूप में भी तुम्हें चोट पहुंचा सकता है
वही गिद्ध तुम्हें शादी के बाद पति के रूप में मिल सकता है
और दहेज के लिए तुम्हें जलाने की साजिश भी रच सकता है

इसलिए, सुनो लड़कियों
ऐसे गिद्ध पुरुषों को धक्के देकर आगे बढ़ जाओ

-गुलज़ार हुसैन

Comments

  1. बेहद खूबसूरत कविता पितृसत्तात्मक व्यवस्था को सीधे सीध में ले रही है और इतना ही नहीं उससे अगर चोट मिल भी जाए तो धक्का मार आगे बढ़ने को प्रेरित करती हुई कविता ऐसी कविताएं स्त्रियों के लिए इस दुनिया में संजीवनी का काम करती है गुलज़ार जी आपको एक मजबूत कविता लिखने पर तहदिल से सलाम ✊🏼

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