एक साहित्यकार की चिट्ठी
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कथाकार रॉबिन शॉ पुष्प का लिखा पत्र |
बात तब की है, जब 'चंपक', 'नंदन' की जादुई दुनिया से निकलकर मैं 'हंस', 'कथादेश' और 'आजकल' जैसी पत्रिकाएं पढ़ने लगा था। उस समय एक कथाकार का जादू मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा ...उनकी कहानियों में प्रेम जैसे जाड़े की धूप की तरह पन्नों पर पसरी होती थी...उनकी एक से बढ़कर एक कहानियां पत्रिकाओं में आ रही थीं।
उसी दौरान उनकी एक कहानी 'शापित यश' मैंने 'आजकल' में पढ़ी। उसका इस कदर प्रभाव मुझ पर हुआ कि मैं तुरंत कथाकार को खत लिखने बैठ गया। मैं जब चिट्ठी लेटर बॉक्स में डाल रहा था, तब मुझे लगा था कि उन्हें समय ही कहां मिलेगा जवाब देने का।
...लेकिन एक सप्ताह बाद ही डाकिया एक पोस्टकार्ड दे गया। मेरी खुशी का ठिकाना न था। यह पत्र कथाकार रॉबिन शॉ पुष्प का था। आज वे हमारे बीच नहीं हैं।
लेकिन मैंने उनका यह खत संभाल कर रखा है।
आज (20, Dec ) उनका जन्मदिन है। उनकी स्मृति को नमन!
-Gulzar Hussain
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