पेठिया का मिठुअवा सेव और बड़ी मां
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मुजफ्फरपुर के मनियारी में रविवार को लगने वाला हाट |
बहुत दिनों बाद मुजफ्फरपुर का मनियारी पेठिया (हाट) जाने का मौका मिला। रविवार की शाम थी। पेठिया गुलजार था, लेकिन सबसे पहले तो मेरा मन यह जानने को बेचैन हुआ कि मिठुअवा सेव क्या अब भी मिलता है इस पेठिया में ...वही मिठुअवा सेव जिसे बचपन में मेरे बड़े बाबा लेकर आते थे हाट से और बड़ी मां बड़े प्यार से मुझे देती थी ...ओह, क्या स्वाद होता था उस अनमोल पेठिया वाली मिठाई का...
हां, तो मैं मिठुअवा सेव की तलाश में पेठिया में घुस गया। बेल, ककड़ी, तरबूज सब बेचे जा रहे थे। तरह-तरह की सब्जियां और फल। लोगों की भीड़ थी ...धूल उड़ रही थी ... लेकिन एक जो बात यहां थी, वह बड़े शहरों और मॉल वाले महानगरों में बिल्कुल भी नहीं होती। जाने वह क्या बात थी कि यहां की धूल की परवाह भी किसी को नहीं थी।
आखिरकार एक जगह मुझे दिखाई दे गया मिठुअवा सेव। ताजा ही बना था। एक महिला बैठी कई तरह की स्वादिष्ट चीजें बना रही थी ...कुछ लोग वड़ी, तो कुछ लोग चिनिया बादाम खरीद रहे थे। मैंने अपने छोटे भाई आशु से कहा, मिठुअवा सेव ले लो, खाने का बहुत मन है।
मिठुअवा सेव का स्वाद जैसे ही मुझे मिला, वैसे ही बचपन की सब चीजें चलचित्र की भांति मेरे सामने चलने लगी ...बड़ी मां मुझे मिठुअवा सेव की लड़ी दे रही है ...मैं और भाइयों-बहनों से ज्यादा लेने के चक्कर में बड़ी मां के पीछे पीछे घूम रहा हूं ...
बड़ी मां पलटती है और कहती है-बउआ, और लेबे कि सेव?
मैं कहता हूं - हां
वह मेरी हथेली पर बहुत सारा मिठुअवा सेव रख देती है। मैं उसके चेहरे को देखता रहता हूं बहुत देर तक।
- गुलजार हुसैन
(फोटो: मनियारी हाट की मेरी खींची हुई तस्वीर)
(फोटो: मनियारी हाट की मेरी खींची हुई तस्वीर)
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