बच्‍चे की किलकारियां कहतीं हैं, जातिवाद को मिटा दो

अमृता के बच्‍चे की पहली तस्‍वीर/ फेसबुक से साभार
By Gulzar Hussain
वे दोनों दो जातियों से थे, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। हां, तेलंगाना के दलित युवक प्रणय (Pranay) और सवर्ण परिवार की अमृता (Amrutha) ने जाति की हर दीवार तोड़कर प्रेम किया था ...शादी भी की थी, लेकिन अमृता के परिवारवालों ने कथित रूप से प्रणय की जान ले ली। जब प्रणय की हत्या हुई, तब अमृता गर्भवती थी और उस समय अबॉर्शन करवाने के लिए उस पर जबर्दस्त दवाब था। लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी। 
वंचित जाति से घृणा की मानसिकता वाले पत्‍थर दिल लोगों ने दोनों की खुशियों को पलक झपकते छीन लिया था। पिछले साल 14 सितंबर को एक अस्‍पताल के सामने प्रणय की धारदार हथियार से हत्‍या हुई, लेकिन यह सब सीसीटीवी में कैद भी हुआ। अमृता ने अपने पिता मारुति राव और चाचा टी श्रवण पर प्रणय की हत्या करवाने का आरोप लगाया था। 
अमृता के फेसबुक वाल से साभार

...और आखिरकार उसने अब एक प्यारे बच्चे को जन्म दिया है। न्‍यूज पोर्टल तेलुगु360 के ट्ववीटर एकाउंट सहित सोशल मीडिया में वायरल हुई इस बच्‍चे की तस्‍वीर को पोस्‍ट करके लोग प्रणय के लिए  न्‍याय की मांग कर रहे हैं। यह तस्‍वीर जातिवाद पर सबसे बड़ा प्रहार है। अमृता अपने सच्चे प्रेम को जीते हुए अपने पिता और चाचा को प्रणय का खूनी मानती है। और इस मासूम बच्चे को जातिवाद के खिलाफ अपने प्रेम की जीत का प्रतीक मानती है।
दोनों स्कूल के जमाने से दोस्‍त थे, यह दोस्‍ती धीरे-धीरे मोहब्‍बत में तब्‍दील हो गई थी। लेकिन यह बेदर्द जातिवादी जमाना उनके इस प्‍यार को कहां समझ पाया। अमृता ने बताया था कि उनके पिता इस शादी के खिलाफ थे। अमृता ने यह भी कहा था कि उन्होंने एर्बाशन कराने के लिए भी कहा था। 
तेलंगाना के नलगोंडा जिले के मरियालागुड़ा शहर में पिछले साल हुए इस ऑनर किलिंग (Honour killingने सबको झकझोर कर रख दिया था। इस हत्‍याकांड से पहले अमृता और प्रणय दोनों बेहद खुश थे, लेकिन वंचित जाति से घृणा की मानसिकता वाले पत्‍थर दिल लोगों ने दोनों की खुशियों को पलक झपकते छीन लिया था। पिछले साल 14 सितंबर को एक अस्‍पताल के सामने प्रणय की धारदार हथियार से हत्‍या हुई, लेकिन यह सब सीसीटीवी में कैद भी हुआ। अमृता ने अपने पिता मारुति राव और चाचा टी श्रवण पर प्रणय की हत्या करवाने का आरोप लगाया था।
'मैं प्रणय के बिना नहीं जी सकती, लेकिन मुझे जीना होगा, मेरे बच्चे के लिए और कास्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ने के लिए मैं जिऊंगी। मैं नहीं चाहती की कोई और उस दर्द को महसूस करे, जिससे मैं गुजर रही हूं।' 

 आठ महीने ही हुए थे दोनों को लव मैरिज किए और प्रणय का खून कर दिया गया था। तब अमृता गर्भवती थी। प्रणय उसे प्रेग्नेंसी के रेग्यूलर चेकअप के लिए प्राइवेट अस्पताल लेकर गया था, जहां से निकलते हुए प्रणय की जान ले ली गई थी। दोनों स्कूल के जमाने से दोस्‍त थे, यह दोस्‍ती धीरे-धीरे मोहब्‍बत में तब्‍दील हो गई थी। लेकिन यह बेदर्द जातिवादी जमाना उनके इस प्‍यार को कहां समझ पाया। अमृता ने बताया था कि उनके पिता इस शादी के खिलाफ थे। अमृता ने यह भी कहा था कि उन्होंने एर्बाशन कराने के लिए भी कहा था।


प्रणय की हत्‍या से अमृता को गहरा सदमा लगा, लेकिन उसने हिम्‍मत नहीं हारी। तब उसने कहा था, 'मैं प्रणय के बिना नहीं जी सकती, लेकिन मुझे जीना होगा, मेरे बच्चे के लिए और कास्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ने के लिए मैं जिऊंगी। मैं नहीं चाहती की कोई और उस दर्द को महसूस करे, जिससे मैं गुजर रही हूं।'

अब नए साल में अमृता के घर नन्‍हा सा मेहमान आ गया है। आज इस बच्‍चे की किलकारियां सभी देशवासियों से कह रही हैं कि, उठो और इस क्रूर जातिवाद को मिटाने के लिए लड़ो, ताकि फिर किसी वंचित जाति के युवक का खून सड़कों पर न बहे। ...इस मासूम बच्चे का स्वागत कीजिए, क्योंकि जातिवादी ऑनर किलिंग के खिलाफ यह मासूम एक आगाज़ है।

Comments

Popular posts from this blog

बदलता मौसम : लघुकथा

सत्य की खोज करती हैं पंकज चौधरी की कविताएं : गुलज़ार हुसैन

प्रेमचंद के साहित्य में कैसे हैं गाँव -देहात ?