मंगल ग्रह पर फंसे युवक की कहानी

By Gulzar Hussain
इस फिल्म में भले मंगल ग्रह पर फंसे युवक की कहानी है, लेकिन उसके जीवित रहने का संघर्ष हमें देश में फैले कोरोना संकट से उबरने की प्रेरणा दे सकता है।

एंडी वेयर के उपन्यास 'द मार्शियन' पर इसी नाम से बनी फिल्म जिजीविषा की अद्भुत दास्तान है। रिडले स्कॉट (Ridley Scott) के निर्देशन में बनी इस साइंस फिक्शन फिल्म में मंगल ग्रह पर गई अंतरिक्ष यात्रियों की एक टीम से अकेले छूट गए एक युवक की कहानी है, जो मौत को आंखों के सामने देखकर भी हिम्मत नहीं हारता।

मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन नहीं है...खाने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी वह अंतरिक्ष यात्री युवक (astronaut's, Matt Damon) जिंदा रहने के लिए हरसंभव कोशिश करता है। ठीक वैसे ही जैसे आज कोरोना संकट में लोगों के पास न बैंक बैलेंस है न खाने।को रोटी...

उस अंतरीक्ष यात्री को चिंता है कि उसके पास थोड़े बचे खाने, ऑक्सीजन और पानी के खत्म हो जाने के बाद वह कैसे बचेगा। ...तो फिर वह मंगल ग्रह के फर्श से मिट्टी लाकर एक जगह जमा करता है और अपने मल के सहारे आलू के पौधे उगाता है ...वैज्ञानिक प्रयोग से वह पानी बनाता है ....यह सब वह कैसे करता है, यह देखना बेहद रोमांचक है।
एक समय ऐसा आता है जब वह आधा आलू खाकर जिंदा रहता है।

वह कहता है कि जब सारे रास्ते बंद हो चुके हों, तो अपना काम शुरू करना चाहिए। पहले एक संकट दूर करना चाहिए, फिर दूसरा ...फिर तीसरा...
कोरोना काल में सरकारी लापरवाही से देश अब तक की सबसे बड़ी बेरोजगारी झेल रहा है, इसलिए हम सभी को जिंदा रहने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा, ठीक इस अंतरिक्ष यात्री की तरह...

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