राजनीतिक पक्षधरता क्या होती है?
By Gulzar Hussain
राजनीतिक पक्षधरता क्या होती है, आइये इस 13 साल की लड़की से जानते हैं।
मेरे हाथ में जो किताब है, उसे 13 साल की उम्र में एन फ्रैंक ने लिखी थी। एन की तो क्रूर हिटलर ने हत्या करवा दी, लेकिन वह उसके विचार को नहीं मिटा सका।
यह किताब दरअसल एन की डायरी है। इसमें 3 अगस्त, 1943 को वह लिखती है -
"डियर किट्टी, एक जबरदस्त राजनीतिक खबर है। इटली में फासिस्ट पार्टी को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कई जगहों पर लोग फासिस्ट के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।"
यह चंद पंक्तियां एन की राजनीतिक पक्षधरता को दर्शाती है।
मैं यह कहना चाहता हूं कि जब देश भीषण संकट में हो ...संविधान, लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म सब पर गिद्ध दृष्टि साफ साफ नजर आए, तो राजनीतिक पक्षधरता एक जरूरी विषय होता है। दरअसल, कोई जब कहता है कि मैं तो निष्पक्ष हूं, तो वो झूठ बोलता है या उसके अंदर एक डर होता है। सच तो यह है कि खुद को निष्पक्ष कहकर वह सत्ता की हर नीति को स्वीकार करने का संदेश देता है।
संकट के समय भी अगर कोई अपने पॉलिटिकल विचारों से क्रूरतम पार्टी का विरोध और सबल वैकल्पिक पार्टी का समर्थन नहीं कर पाए, तो उसके मन में चोर बैठा है। क्योंकि वह चुपचाप डिटेंशन कैंप बनाने वालों को रास्ता देने के लिए तैयार है।
भारत में जब कट्टर राजनीति के इशारे पर मॉब लिंचिंग बढ़ गई थी, तो बहुत सारे साहित्यकारों, फिल्मकारों ने अपने अवार्ड लौटा कर राजनीतिक पक्षधरता ही दर्शाई थी।
ऐसे समय में जब बिहार चुनाव हो रहे हों, तो फासिस्ट पार्टियों को हराने के लिए हर किसी की राजनीतिक पक्षधरता जरूरी है। बोलिए, लिखिए...बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे...
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