भाईचारा और न्याय चाहने वाले नौजवान थे भगत सिंह
By Gulzar Hussain
नई पीढ़ी में भगत सिंह (Bhagat Singh) का लगातार लोकप्रिय होते चला जाना आज के 'ताकतवर नफरतवादी संगठन' के लिए निस्संदेह ईर्ष्या का विषय होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले ऐसे क्रांतिकारी नौजवान थे, जिसने अपनी कलम से भी भाईचारे और न्यायप्रियता की जरूरत को रेखांकित किया।
'साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज' और अछूत समस्या' जैसे उनके लिखे लेख आज भी बेहद प्रासंगिक हो गए हैं। भगत सिंह ने दलितों और माइनॉरिटी की सलामती की चिंता करते हुए क्रांति का बिगुल फूंका था। यह एक बड़ी बात थी। आज भी देश में पहले पहल ऐसी ही चिंतन की जरूरत है।
आज जब माइनॉरिटी अपना अस्तित्व बचाने के लिए चिंतित है ...निजीकरण से दलितों के आरक्षण को मिटाया जा रहा है ...सेक्युलर और न्यायप्रिय संविधान पर खतरा मंडरा रहा है, तब निस्संदेह भगत सिंह की जरूरत वतन को है। भगत सिंह की राह मतलब इंसानियत की राह ...एकता भाईचारे की राह। और यह राह 'नफरती गैंग' नहीं चाहता, यह जग जाहिर है।
यह मानिए कि दंगाइयों, देश और संविधान को तोड़ने की साजिश रचने वालों और तिरंगे पर बुरी नजर रखने वालों के खिलाफ भगत सिंह का नाम एक धधकती मशाल है। भगत सिंह यदि जीवित रहते तो कई बेहतर किताबें हम सबके लिए दे जाते। खैर! उन्होंने जितना लिखा, वही पत्थर की लकीर है।
भगत सिंह केवल आजादी के लिए ही संघर्षरत नहीं थे बल्कि आजादी के बाद हमारे देश की निर्माण दिशा किस विचार की होनी चाहिए और इस दिशा में उन्होंने खूब पढ़कर और चिंतन कर के समाजवाद को सब से बेहतर कहा भगत एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही व्यवस्थाओं की समीक्षा करना और खुल कर किसी एक व्यवस्था के समर्थन में लिखने का कार्य किया उन लिखे दस्तावेजों से अंग्रेजी सरकार न केवल भयभीत हुई बल्कि समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के डर से भगत को साजिशों के तहत फांसी की सजा दी लेकिन आज भी भगत अन्याय कारी व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं अपने विचारों और अपनी स्पष्ट लेखनी के बल पर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं गलत के खिलाफ आवाज उठाने को ऐसे क्रान्तिकारी साथी को हमेशा याद रखा जाएगा
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