#MeToo: सच के सहारे आत्‍मसम्‍मान की लड़ाई, प्रिया रमानी के समर्थन में सोशल मीडिया पर उठी आवाज़


यौन शोषण के आरोप से बौखलाए भाजपाई मंत्री और पूर्व संपादक एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का मुकदमा किए जाने के बाद सोशल मीडिया में तूफान मच गया है। 97 वकीलों के सहारे प्रिया के आरोपों को झूठा साबित करने की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर लड़कियों और न्‍यायप्रिय पुरुषों ने प्रिया के समर्थन में खुलकर लिखना शुरू कर दिया है।

ट्विटर से लेकर फेसबुक तक यौन शोषण के खिलाफ नारेबाजी बुलंद होती जा रही है। ज्‍यादातर पोस्‍ट भाजपा के उस रूख के खिलाफ है, जिसमें वह एमजे अकबर का बचाव करती दिखाई दे रही है। दरअसल एमजे की ओर से कानूनी कार्रवाई के बाद प्रिया रमानी ने जो बयान दिया है वह नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए क्रांति की मशाल की तरह है। प्रिया ने कहा है कि,  'मैं अपने ख़िलाफ़ मानहानि के आरोपों पर लड़ने के लिए तैयार हूं। सच और केवल सच ही मेरा बचाव है।' इस तरह अब स्त्रियों के आत्‍मसम्‍मान की यह लड़ाई सच के सहारे लड़ी जा रही है।

Drawing: Gulzar Hussain
 लोग सवाल पूछ रहे हैं कि यदि भाजपा बेटी के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की बात करने वाली पार्टी है, तो वह अपने मंत्री एमजे को बचाती क्‍यों प्रतीत होती है। कई लोग लिख रहे हैं कि यूपी के उन्नाव में बलात्कार के आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को आज तक भााजपा ने पार्टी ने से नहीं निकाला है और अब भाजपा एमजे को लेकर भी नरम बनी हुई है।

फेसबुक पर साध्‍वी मीनू जैन यौन शोषण के खिलाफ स्त्रियों को एकजुट होकर आवाज उठाने का आह्वान करती हैं। वे लिखती हैं- 'देश की 50 प्रतिशत आबादी 97 की बोलती बंद नहीं कर सकती क्‍या। एमजे अकबर कारू के खजाने पर तो बैठे नहीं हैं जो 97 वकीलों की फौज एक औरत से लड़ने के लिए उतार दी है।'


गौरतलब है कि प्रिया रमानी ने जिस तरह सत्‍य के सहारे मानहानि का केस लड़ने की बात कही है, उससे नई पीढ़ी की लड़कियों में उत्‍साह का संचार हो गया है। एमजे पर लगे आरोप दरअसल कार्यस्‍थल पर लड़कियों के उत्‍पीड़न से जुड़ा है, इसलिए इसे जरूरी लड़ाई माना जा रहा है। कार्यस्‍थलों पर ताकतवर अधिकारियों और बॉस की ओर से होने वाले शोषण से न केवल लड़कियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनके कैरियर की राह भी बंद हो जाती है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिसके कारण लड़कियों ने बॉस के यौन प्रताड़ना से डर कर नौकरी करना ही छोड़ दिया है। यदि एमजे मामले में प्रिया को न्‍याय मिलता है, तो भविष्‍य में कार्यस्‍थल पर यौन प्रताड़ना के खिलाफ एक कड़ा संदेश जाएगा।
 प्रिया रमानी के समर्थन में
 उनकी  बेटी का संदेश/ ट्विटर से साभार  


#MeToo के समर्थन में सोशल मीडिया पर मचा तूफान यह साफ संकेत दे रहा है कि सामंती पुरुषवाद अपने ताकतवर पैरों से स्त्रियों को रौंदते हुए अब आगे नहीं बढ़ सकता। किसी अखबार का कार्यालय हो या फिल्‍म की शूटिंग का स्‍थल, कहीं पर भी लड़कियों पर रत्‍ती भर भी अत्‍याचार अब चलने वाला नहीं है। निस्‍संदेह #MeToo की लड़ाई इस दुनिया की आधी आबादी को आत्‍मसम्‍मान से अपने कैरियर की ऊंचाई पर पहुंचने की राह बनाने की भी लड़ाई है। ज्ञात हो कि एमजे के खिलाफ अब तक 14 महिलाओं ने आरोप लगाए हैं, जिससे यह साफ है कि यह लड़ाई सिर्फ प्रिया की ही नहीं, बल्कि देश की हर जागरूक महिला की है।                               
(Gulzar Hussain) 
 

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