लघुकथा : सबसे ज्यादा नशा




रात में तीन शराबी एक बार से लड़खड़ाते हुए निकले। एक के ऊपर दूसरा और दूसरे के ऊपर तीसरा गिरा जा रहा था। तीनों एक नाले के पास खड़े हो गए।

अचानक पहले ने दूसरे का कॉलर पकड़ते हुए कहा- ''तुमसे ज्यादा मुझे चढ़ी है। मेरे पैर डगमगा रहे हैं। इसका मतलब है कि वोदका में रम से ज्यादा नशा होता है।''

यह सुनते ही दूसरे पियक्कड़ ने पहले वाले के बाल पकड़ लिए और बोला- ''तू गधा है, मैं पैर से नहीं चल रहा हूं। उड़ रहा हूं। देख ले। इसका मतलब है रम में वोदका से ज्यादा नशा होता है।''
तभी सिर के बल खड़े तीसरे पियक्कड़ ने उन दोनों की पीठ पर अपने एक-एक पैर रखते हुए कहा- ''तुम दोनों ही तिलचट्टे हो। मैं इतने नशे में हूं कि सिर के बल चल रहा हूं। इसका मतलब है कि व्हिस्की में रम और वोदका से ज्यादा नशा होता है।''

तभी अचानक वहां, बीस-पच्चीस लोगों की भीड़ हाथ में लाठी, डंडे और तलवार लिए नारा लगाते आ पहुंची और तीनों पियक्कड़ों को घेर लिया।
 
अब तीनों पियक्कड़ उस भीड़ से ही पूछने लगे- ''भाइयों, ये बताओ, वोदका, रम और व्हिसकी में से सबसे ज्यादा नशा किसमें होता है?''

भीड़ में जो व्यक्ति तलवार लिए खड़ा था वह थोड़ा आगे बढ़ा और तलवार लहराते हुए तीनों से बोला- ''पहले तुम तीनों अपना धर्म बताओ?''

तीनों ने जैसे ही अपना धर्म बताया, वैसे ही उस तलवार लहराते व्यक्ति ने जोर से एक नारा लगाया और तीनों को विधर्मी कहते हुए बारी-बारी से उनके पेट में तलवार भोंक दी और नाले में धकेल दिया।
-गुलज़ार हुसैन
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