फेसबुक पर उठी आवाज़, नए साल में हो नया आगाज़

प्रस्‍तुति: Gulzar Hussain
नया साल दबे पांव नहीं आया है, बल्कि डंका बजाता हुआ आया है। नया साल साफ- साफ कह रहा है कि पिछले साल राहों में जो कांटे बिखरे थे, वह इस साल में चुन कर फेंक दो, वरना मंजिल तो दूर, दो कदम भी नहीं चल पाओगे। दरअसल, नई पीढ़ी जानती है कि आगे किन चुनौतियों से उसे जूझना है। जब मैंने फेसबुक पर यह सवाल रखा कि नए साल में आपको देश में क्‍या नया चाहिए, तो लोगों ने एक से बढ़कर एक बातें कहीं। आइए, खुद देख लीजिए कि देश में लोग क्‍या नया चाहते हैं। 



Photo by Prashanth Pinha on Unsplash


किसानों के गले में फंदे न पड़े इस साल 

सरिता ज्‍योत्‍सना (Sarita Snigdh Jyotsna) ने लिखा है 'कृषकों के गले में न फंदे पड़े इस साल!' बी.एल. 'पारस' ने कहा, 'जातिगत भेदभाव का खात्मा हो।' प्रीति खरवार ने लिखा है,  'संविधान सम्मत सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था.. एक शब्द में कहा जाय तो 'समानता'। वहीं परमिंदर सिंह (Parminder Singhने लिखा 'इंसान का इंसान से हो भाईचारा'। Prakash Jinde ने लिखा है, जाति, धर्म के नाम पर उत्पात मचाने वाली सरकार बदलना चाहता हूं।' Drpushplata Adhiwaqta Muzaffarnagar ने लिखा कि नए साल में  'मोदी की बर्खास्तगी हो'। Rajendra Singh Thakur ने लिखा, 'खुशहाली और भाईचारा - ऐसा हो देश हमारा'। वहीं Saif Khan ने लिखा, 'नये साल में कुछ नयापन चाहते हैं तो हमें स्वयं के अन्दर कुछ नया बदलाव लाना होगा।'


हर तरह का शोषण खत्म हो

नए साल में हर तरह के शोषण को खत्‍म करने की बात हो रही है। Ashrut Parmanand ने लिखा है 'हर तरह का शोषण खत्म हो.....' वहीं Bablu Khan ने कहा है, 'भाईचारा' हो। वहीं Aheer Dhanji Singh ने लिखा है, 'महंगाई को जल्द से जल्द निजात पाना और महंगा शिक्षा पर लगाम इसके अलावा संध और संघी सरकार से आजादी।' वहीं Zeeshan Khan ने लिखा है, 'साल तो बदलते रहेंगे किंतु अब किसानों के सही दिन बदले।' वहीं Ashique Hussain ने लिखा है, 'कोरा काग़ज़...' शायद इनका मतलब है कि कोरे कागज पर चित्र बनाने या लिखने जैसा स्‍पेस मिले। अभिव्‍यक्ति की भरपूर स्‍वतंत्रता मिले। वहीं Praveen Pandey ने नए साल पर 'जवान पीएम' की मांग कर दी है। वहीं Md Wjair Hussain ने लिखा है, 'शिक्षा के स्तर में सुधार हो और शिक्षा आम आदमियों के लिए भी सुलभ हो ताकि देश और समाज की प्रगति में आम आदमियों का भी विशेष योगदान हो।' Prem Sagar ने लिखा है 'Indian Constitution must be fully implemented.'


ऐसी सरकार बने जो Intellectuals (बुद्धिजीवियों) को अपना दुश्‍मन न समझे

बुद्धिजीवियों ने वर्तमान सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर आवाज उठाई है, लेकिन इसके बदले में उन्‍हें देशद्रोही तक कहा गया। गोरक्षा के बहाने अखलाक की हत्‍या और दलितों के उत्‍पीड़न की कई घटनाएं सामने आईं हैं। वहीं जब लेखकों ने इस जुल्‍म के खिलाफ जब अवार्ड वापस करने शुरू किए तो उनका मजाक उड़ाया गया। Surendra Rajan ने लिखा है, 'ऐसी सरकार बने जो बुद्धिजीवियों (Intellectuals) को अपना दुश्‍मन न समझे।' वहीं Kranti Katke Jadhav ने लिखा है, 'कम्‍यूनिस्‍टों की सत्‍ता हो।' Mrinal Ranjan Prasad ने लिखा है 'आपसी भाईचारा हो।'

Photo by Gulzar Hussain

प्रदूषण और भ्रष्‍टाचार मुक्‍त हो देश

नई पीढ़ी देश को प्रदूषण और भ्रष्‍टाचार मुक्‍त देखना चाहती है। Sangh Saran ने लिखा है, 'Pollution & Corruption free India ...No people should die hungry...' वहीं Ravindra Mothsara ने व्‍यंग्‍य करते हुए लिखा है नए साल में देश को 'प्रधानमंत्री' मिले। वहीं Ram Gopal Yadav ने लिखा है, 'सभी एक दूसरे से प्‍यार करें और मिलजुल कर रहें।'


स्त्रियों की सुरक्षा और गरीबों को रोजगार मिले

Usha Yadav Usha ने नए साल पर बहुत जरूरी बात कही है। उन्‍होंने कहा है, 'स्त्रियों की सुरक्षा, गरीबों को रोज़गार, किसानों को सुविधाएं, सीमा पर जवानों को शहीद न होना पड़े .......और सौहार्दपूर्ण वातावरण...।' वहीं Sikandar Ali ने लिखा है, नए साल पर 'आपसी प्यार बढ़े।' Bansi Lal ने कहा है नए साल पर मिले 'नई सरकार'। वहीं Salauddin Meer ने व्‍यंग्‍य करते हुए लिखा है, 'फेंकू को भगाना होगा।'

Photo by Gulzar Hussain

नई सरकार बने, बाकी अपने आप ठीक हो जाएगा

DrSagar Jnu (डॉ. सागर) ने नए साल पर नई उम्‍मीद जगाते हुए जरूरी बात कही है। उन्‍होंने कहा है, 'नई सरकार। बाकी अपने आप ठीक हो जाएगा। वहीं Ravindra Bhatnagar ने भी लिखा है, 'नये साल में नया PM' ...वहीं दूसरी तरफ Sayeed Ayub ने लिखा है, 'भारत की केन्द्रीय और राज्य सरकारें सभी नागरिकों के प्रति समान रूप से अपनी ज़िम्मेदारी समझें और उसे बिना किसी बेईमानी के और किसी को अपना दुश्मन समझे बग़ैर पूरी करें। वहीं Kailash Manhar ने लिखा है, ' समानता और न्याय पर आधारित राजनैतिक, आर्थिक,सामाजिक व्यवस्था।'


जाति- धर्म का उपयोग घृणा और हिंसा फैलाने में नहीं हो

Prakash Sinha (प्रकाश सिन्‍हा) ने लिखा है, 'मैं तो यही चाहता हूं की हमारा भारत पहले की तरह एक संवैधानिक देश बने और जाति तथा धर्म का उपयोग घृणा और हिंसा फैलाने तथा देश तोड़ने में न हो। अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई आंच न आए, लेकिन इसका दुरूपयोग भी न हो।' वहीं Sushila Bharti ने कहा, 'भारत में सभी के लिए एक जैसी शिक्षा हो।'

सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहें

नए साल में एकता को लेकर Sneha Thakur ने चिंता जताई है। उन्‍होंने कहा है, 'मैं चाहती हूं कि सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहें।' Shabab Meeruthi ने 'Socialism' होने की बात लिखी है। वहीं Uttam Kharat की नए साल पर चाहत है, 'बीजेपी का सफाया'। वहीं Manju Sharma ने लिखा है, 'गोकशी से मुक्ति, स्त्री सुरक्षा, देश में अमन- चैन बहाल हो।' वहीं Rahim Shaikh ने लिखा है, 'गरीबों की गरीबी दूर होनी चाहिए।'


सबको अपनी तरह से जीने की स्वतंत्रता मिले 

Hemlata Mahishwar (हेमलता माहिश्‍वर) ने नए साल पर बहुत जरूरी बात कही है। उन्‍होंने लिखा है, 'मैं जैसे अपनी तरह से जीना चाहती हूं, वैसे ही औरों को भी अपनी तरह से जीने की स्वतंत्रता मिल सके। सच्चा लोकतांत्रिक गणतंत्र मिल सके।' वहीं Abdul Quddus ने लिखा है, 'हो सके तो शांति का माहौल बनाये रखें।' Nadim Iqbal Khan ने लिखा है, 'सबके लिए मुफ्त और सुलभ हो शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं।' Ram Karan Nirmal ने लिखा है, 'समतामूलक समाज'। वहीं Veerendra Kumar ने लिखा है, ' 5g मोबाइल नेटवर्क के साथ देश का विकास होता हुआ दिखाई दे।'

सांप्रदायिक हिंसा से मुक्‍त हो देश

नए साल पर Raghvendra Human ने सांप्रदायिकता को लेकर चिंता जताई है। उन्‍होंने लिखा है, 'Communal violence free India...' वहीं Sunil Beniwal ने लिखा है, 'पाखण्डवाद से छुटकारा'। Anuradha Kanojia ने लिखा है, 'बेरोजगारी का अंत, स्त्री और बच्चों की सुरक्षा।' वहीं Mangesh Narayanrao Kale ने व्‍यंग्‍य करते हुए लिखा है, 'ये चौकीदार न हो...बस।' वहीं Mukti Mohammad ने लिखा है कि नए साल पर, 'समता, समानता, शिक्षा, रोजगार मिले सबको चौतरफा प्यार।' Lalman Dhurve ने लिखा है, 'केंद्र में नई सरकार'।


लड़ेंगे और जीतेंगे

Mili Mukherji (मिली मुखर्जी) ने नए साल पर नारा दिया है, 'लड़ेंगे और जीतेंगे'। वहीं Sushila Puri ने लिखा है, 'नए साल में जातिविहीन समाज की संकलपना साकार हो।' वहीं कृष्णकेतु ने कहा है, नए साल में बने, 'नई सरकार'। वहीं Miraz Khan Meer ने लिखा है, नए साल में मिले, 'नफरत से आजादी'। Abhay Sakharkar ने लिखा है, 'जाति मुक्त भारत।' वहीं Arti Tiwari ने लिखा है, 'स्त्रियों की सुरक्षा को लेकर सख्‍त कानून हों और उनका पालन सुनिश्चित हो।' वहीं Tahir Ali ने व्‍यंग्‍य करते हुए लिखा है कि नए साल में 'सरकार' बने।


देश तोड़ने वालों के अरमान पूरे न हों

Nihal Uddin Usmani ने नए साल पर जरूरी बात कही है। उन्‍होंने लिखा है, 'देश तोड़ने वालों के अरमान पूरे न हों।' वहीं Aamir Hamza ने लिखा है, 'हिंदू- मुस्लिम के दरम्‍यान जो नफरत है, वो खत्‍म हो जाए।' Deependra Raja Pandey ने लिखा है, 'महिलाएं बेख़ौफ़ घूमें देश में! हिन्दू, मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हैं भाई भाई, ये चैप्टर बरकरार रहे किताबों और हक़ीक़त में...।' वहीं सन्दीप तोमर ने नए साल पर 'नया प्रधान' की मांग कर दी है।


परिवर्तन के लिए लोगों का संघर्ष सफल हो

Kulvinder Suman ने इस साल परिवर्तन की बात को उठाया है। उन्‍होंने लिखा है, 'परिवर्तन के लिए लोगों का संघर्ष सफल हो।' Satishchand Sharma ने लिखा है, 'बेरोजबारी दूर हो और लोगों में खुशहाली आए। वहीं Mukesh Madhukar ने लिखा है, 'हर चुनाव लड़ने वाले शख्स को समाज शास्त्र, अर्थ शास्त्र, तथा संविधान की अच्छी समझ होनी चाहिए।' Pradeep Bhattacharya ने केवल एक शब्‍द में बड़ी बात कह दी है- 'बदलाव'। वहीं Harishji Vighne ने लिखा है,'जितने मिलावटखोर हैं, उनको सरकार उम्रकैद दे।' Parwez Alam लिखते हैं,' हमारा संविधान बचा रहे और हम सब गांधी के हिंदुस्‍तान में अमन से रहें यही हमारी कामना है।'

हर चौपाये को जानवर और दोपाये को इंसान समझा जाए 

Om NanyAdi Raj ने नए साल पर जो चाहत की है, वह उल्‍लेखनीय है। उन्‍होंने लिखा है, 'सांप्रदायिकता के ज़हर से पूर्णतः मुक्त भारत, जिसमें हर चौपाये को जानवर और आदमी जैसे दोपाये को इंसान समझा जाए। Farook Shah (फारूक शाह) ने नए साल पर नई पीढ़ी को नई राह दिखाई है। उन्‍होंने लिखा है, 'देश आरएसएस रहित हो।' वहीं Narendra Parihar ने लिखा है, '2019 मे संघी सत्ता का अंत ....बस और कुछ नही बाकी हम खुद देख लेंगे।' Izhar Sayyed Arif ने भी लिखा है,'RSS free India.' वहीं DC Yadav ने कटाक्ष करते हुए लिखा है, 'फेंकू को जेल।'


हर इंसान जिम्‍मेदारी से अपना दायित्‍व निभाए

Manisha Gupta Apurva ने लिखा है, ' हर नागरिक चाहे वह किसी भी पद या प्रतिष्ठा का पात्र हो, ईमानदारी से अपने दायित्व को निभाए।' वहीं Deepti Sharma ने कहा, 'समभाव भावना, निडरता और बेफिक्री महिलाओं के लिए, जिससे वो कहीं भी आ जा सकें।'Shivpriy Priy लिखते हैं, 'संविधान चेतस मुकम्मिल भारत।' वहीं Shantanu Chakraborty ने लिखा है, 'नफरत का हो ना नामोनिशां, बस दिल मिले प्‍यार के गुल खिले।'

 (नोट- इस ब्‍लॉग पोस्‍ट में Facebook पोस्‍ट पर आई प्रतिक्रियाओं को जस का तस रखा गया है। विचारों के साथ किसी के पद का उल्‍लेख नहीं किया गया है और एफबी पर आए कमेंट को क्रमानुसार रखने का प्रयास किया गया है। हां, एक ही तरह के विचारों को एक जगह रखने में कुछ प्रतिक्रियाएं ऊपर या नीचे हुईं हो सकती हैं।)  





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