डूमन राय को जानने के लिए उसका पता जानने की जरूरत नहीं है

(कविता: गुलजार हुसैन)
Photo:  Gulzar Hussain/ Mumbai

डूमन राय को जानने के लिए उसका पता जानने की जरूरत नहीं है
क्‍योंकि वह खड़ा है हर शहर के हर मोहल्‍ले में हर गली की सड़क के किनारे
गौर से देखिए, वह देश के हर सीवर के पास खड़ा है खाली पैर
तपती सड़क से तलुवों में पड़ने वाले फफोलों से अनजान
क्‍यों‍कि उसे पता है कि जिस सीवर में वह उतरेगा,
वहां उसके तलुवे ही नहीं, उसकी आंखें भी गंदे कीचड़ से भर जाएंगी
और सीवर की जहरीली गैस से उसका सर चकराने लगेगा

यह सब जानने के बावजूद वह उतरेगा सीवर में
क्‍योंकि 32 साल के जवान डूमन राय के कंधे पर है
घर के लोगों का पेट भरने की जिम्‍मेदारी
वह उतरेगा उस जानलेवा अंधकार से भरे सीवर में
क्‍यों‍कि उसकी आंखों में बसी है भूख सहकर तड़पते उसके बच्‍चे की फीकी मुस्‍कान
वह गंभीर त्‍वचा रोग देने वाली गंदगी में उतरेगा निर्वस्‍त्र ही
क्‍योंकि इसके अलावा उसके पास कुछ करने का विकल्‍प नहीं छोड़ा गया है
कि वह इस सीवर से दूर भाग जाएगा
तो कोई दूसरा डूमन राय वहां खड़ा हो जाएगा खाली पैर, खाली पेट
यह सच वह जानता है और उससे काम करवाने वाला मूंछ ऐंठता ठेकेदार भी जानता है
कि डूमन राय जाएगा तो कहां जाएगा

हां, डूमन राय को जानने के लिए उसका पता जानने की जरूरत नहीं है
क्‍योंकि वह जिस सड़क के किनारे सीवर में सफाई करने के लिए उतर रहा है
उसी सड़क के छोड़ से जुड़ते हैं राजनीतिक पार्टियों के आलीशान मुख्‍यालय
उसी सड़क के छोड़ से सटे हैं मंत्रियों और व्‍यापारियों के आलीशान बंगले
उसी सड़क से गुजरता है वोट मांगने वाले नेताओं का सियासी झंडा लहराता काफिला

डूमन राय सीवर में उतर जाता है
और थोड़ी देर में निकलती है उसकी कीचड़ से सनी लाश
अखबार के किसी कोने में छपता है- 'पिछले दो साल में सीवर की जहरीली गैस से 21वीं मौत'
(दिल्‍ली में सीवर की जहरीली गैस से जान गंवाने वाले डूमन राय की स्‍मृति को समर्पित)

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