रिश्‍वत के आराेपों से लथपथ होने के बाद कितनी विश्‍वसनीय रह जाएगी CBI?

लालू यादव पर शिकंजा कसने वाले सीबीआई के स्‍पेशल डायरेक्‍टर अस्‍थाना निकले घूसखोरी के आरोपी

(Analysis: Gulzar Hussain)
सीबीआई में शीर्ष दो अधिकारियों में करोड़ों की घूसखोरी को लेकर आरोप- प्रत्‍यारोप की लड़ाई इतनी आगे बढ़ चुकी है कि पीएमओ को इसमें हस्‍तक्षेप करना पड़ा है। लेकिन इसके बावजूद पहली बार सीबीआई की इतनी बड़ी फजीहत से न केवल केंद्रीय जांच एजेंसी की साख खराब हुई है, बल्कि मोदी सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी टूटने की कगार पर पहुंच चुकी है।
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

सारा खेल पेचीदा है, लेकिन तस्‍वीर बिल्‍कुल साफ है। CBI ने जब अपने ही स्‍पेशल डायरेक्‍टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ मीट कारोबारी मोइन क़ुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया, तो मामला तूल पकड़ गया। एफआईआर दर्ज होने से बौखलाए अस्थाना ने सीबीआई चीफ को ही लपेटे में ले लिया और उन पर ही करोड़ों की घूसखोरी का आरोप लगा दिया। जरा सोचिए कि सीबीआई के दो आला अफसरों के इस पोल खोल महायुद्ध से देश की जनता के सामने सीबीआई की क्‍या विश्‍वसनीयता रह जाएगी।

बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े आरोपों में लगातार छह घंटे तक सवाल पूछने वाले राकेश अस्‍थाना पर घूसखोरी को लेकर लगे गंभीर आरोपों के बाद सोशल मीडिया में भी खूब फजीहत हो रही है। सोशल मीडिया में सवाल पूछे जा रहे हैं कि जो अधिकारी खुद इतने बड़े घूसखोरी के आरापों से घिरे हों, वे लालू यादव से क्‍या सवाल करने की क्षमता रखते हैं। लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि करोड़ों की घूसखोरी के आरोपों से घिेर अस्‍थाना की क्‍या औकात है लालू यादव से सवाल करने की।


गौरतलब है कि अस्थाना के नेतृत्व में ही गोधरा कांड की जांच हुई थी। बाद में मोदी सरकार ने अस्‍थाना को सीबीआई के स्‍पेशल डायरेक्‍टर के पद पर नियुक्‍त किया। अब सोशल मीडिया में सीबीआई के दोनों आला अधिकारियों की लड़ाई को दो तोते की लड़ाई कहकर मजाक उड़ाया जा रहा है। फेसबुक पर इसे एक नंबर और दो नंबर के अधिकारियों की नूराकुश्‍ती में महाराज की जगहंसाई कहकर सवाल पूछे  जा रहे हैं। कार्टूनिस्‍टों ने भी सीबीआई घूसखोरी कांड पर खूब चुटकी ली है और एक से बढ़ कर एक कार्टून बनाए हैं। वहीं जनता की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी लगी है कि वे अपने वादे 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' का वजन सीबीआई के मसले पर कितना बचा पाते हैं। 










  

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