भगत सिंह का सपना

नई पीढ़ी के लिए आज़ाद देश का जो सपना भगत सिंह (Bhagat Singh) और उनके सहयोगी क्रांतिकारियों ने देखा था, वो अभी पूरा होना बाक़ी है। आज भी देश के किसी कोने में जब साम्प्रदायिक या जातीय दंगे भड़क उठते हैं या प्रांतवाद के नाम पर गरीब मजदूरों को धक्के मार कर भगाया जाता है ...या किसी गावों-कस्बों में शादी -ब्याह के भोज में दलितों की पंक्ति अलग रखी जाती है ...या दहेज के लिए किसी की बहन-बेटी जलाई जाती है, तब हमें भगत सिंह की जरूरत महसूस होती है ...भगत सिंह के विचार अब भी प्रासंगिक हैं। 

आज शहीद दिवस के दिन हमारा महानगर अखबार के मेरे कॉलम 'प्रतिध्वनि' में छपा एक आलेख आपके सामने प्रस्तुत है।  




Comments

Popular posts from this blog

दो कविताएं : ठहरो, अभी युद्ध की घोषणा मत करो

शमीमा हुसैन की लघुकथा : गुरुवार बाजार

...जब महात्मा गांधी को जला देने को आतुर थी भीड़