...जब महात्मा गांधी को जला देने को आतुर थी भीड़
हां, इस पुस्तक (दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास) को पढ़कर ही मैं यह जान पाया था कि दक्षिण अफ्रीका में उग्र भीड़ उन्हें जला देने को आतुर थी।
इस मुद्दे पर बाद में आता हूं, पहले तो यह बता दूं कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जो व्यक्तित्व दक्षिण अफ्रीका में उभर रहा था, वह तो उनकी उस छवि से बिल्कुल अगल था, जो बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाले गांधी की रही है।
दक्षिण अफ्रीका वाले गांधी अहिंसा के रास्ते पर तो अडिग थे, मगर एक फर्क मैंने पुस्तक पढ़ते हुए नोटिस किया था। वहां पर मजदूरों को न्याय दिलाने की उनकी न्यायप्रिय आक्रामकता और जूझारूपन किसी फिल्मी सुपर हीरो जैसी थी। वे विनम्र होने के बावजूद बिल्कुल तीव्रता से मुखर होते थे और सबसे आगे बढ़कर अपनी बात कहते थे। या शायद वहां की परिस्थितियां ही इस तरह की थी कि गांधी आक्रामक रही होगी, जिसके कारण गांधी उस समय जुल्म का विरोध करते किसी अधीर नायक की तरह दिखाई देते थे। किताब पढ़ते हुए ऐसा महसूस होता है कि सताए हुए लोगों को वे जल्द न्याय दिलाने को अग्रसर हैं।
गिरमिटिया मजदूरों पर हुए जुल्म के विरोध में खुलकर बोलने के कारण नेटाल के गोरे तब गांधी की जान के दुश्मन बन बैठे थे।
इस पुस्तक में गांधी लिखते हैं कि गोरों ने उन पर पत्थरों और गालियों की वर्षा कर दी। उनकी पगड़ी फेंक दी और थप्पड़ की बरसात कर दी। गांधी गिर पड़े, लेकिन रुके नहीं और आगे बढ़ते रहे।
बाद में जब गांधी सुरक्षा को लेकर थाने में थे, तब उग्र गोरों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया।
पुस्तक में गांधी ने लिखा है-
हिंसक हो रही भीड़ से पूछा गया,
-'आप लोग क्या चाहते हैं?'
-'हम गांधी को चाहते हैं।'
-'गांधी को लेकर आप क्या करेंगे?'
-'हम उसे जलाएंगे।'
इसके बाद जब हिंसक भीड़ को बताया गया कि गांधी तो आपके बीच से होकर ही आगे बढ़ गए हैं। तो हिंसक भीड़ हाथ मलती रह गई।
ऐसे थे गांधी। निडर, साहसी और न्याय के लिए लड़ने वाले।
उनकी स्मृति को नमन!
गांधी जी के स्मृति दिवस पर उन्हें नमन 🙏
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है कि गांधी दक्षिण अफ्रीका में आक्रामक रुप से दिखाई देते हैं मुझे लगता है ये उनकी उम्र का वो पड़ाव था जो अभी इतना वैचारिक रूप से मजबूत नहीं था जितना कि हौसले और हिम्मत से गांधी निडर तो थे ही इसमें कोई शक दोराय नहीं है और आगे चल कर वैचारिक मजबूती ने उन्हें एक विश्व स्तर की एक प्रतिभा वाले व्यक्तित्व के रुप में उभारा और दर्शन के रूप में उन्हें पढ़ने समझने की जरूरत है
गांधी दर्शन