आखिर क्यों हिटलर मासूम बच्चियों की जान लेने में भी नहीं हिचकता था?


By Gulzar Hussain

हिटलर (Adolf Hitler) की क्रूरता के बारे में जानने से पहले, आइए उस मासूम लड़की के बारे में जानते हैं, जो न केवल घर, बल्कि पूरे मोहल्ले में सबकी दुलारी थी।
उस नन्ही परी सी लड़की का नाम मार्गरेटा था। आज ही के दिन 27 जनवरी 1939 को Groningen में एक डच यहूदी परिवार में जन्मी मार्गरेटा बेहद खूबसूरत और घर भर की लाडली थी। मार्गरेटा अपनी छोटी बहन जूडिथ जोसेफिन के साथ दिन भर खूब खेलती और खुश रहती थी। इन दोनों बच्चियों की मां मारिया सारा दोनों को खेलते देख खूब खुश होती थी। मारिया ने अपनी दोनों बेटियों के साथ कई फोटो खिंचवाई थी। यहां दी गई तस्वीर में मार्गरेटा और उसकी बहन जूडिथ अपनी मां के साथ बैठी है। जूडिथ के हाथ में खरगोश खिलौना है। दोनों नन्ही बहनें हैरत भरी आखों के साथ से कैमरे की ओर देख रहीं हैं, लेकिन उनकी मां मुस्कुरा रही है।

आखिरकार हिटलर ने अक्टूबर 1942 में मार्गरेटा को उसकी मां मारिया सारा और छोटी बहन जूडिथ जोसेफिन के साथ #Auschwitz में निर्वासित कर दिया था। इसके बाद एक दिन गैस चैंबर में उनकी एक साथ हत्या कर दी गई थी।

ऐसे साधारण और खुशहाल परिवार को भी हिटलर नष्ट करने पर क्यों तुल गया? क्या आप जानते हैं कि उन मासूम बच्चियों का कसूर क्या था?

दरअसल उन बच्चियों का कसूर यह था कि वे हिटलर के धर्म की नहीं थी। हिटलर की धर्मांध राजनीति हमेशा दूसरे धर्म के लोगों से नफरत पर टिकी रही। हिटलर की राजनीति इतनी क्रूरता और नफरत से भरी थी कि वह मासूम बच्चियों तक का भी खून पी जाता था।

अगर आप चाहते हैं मार्गरेटा जैसी बच्चियों से दुनिया गुलजार रहे, तो कभी भी नफरत और धर्मांध राजनीति के सहारे आगे बढ़ने वाले किसी भी नेता को वोट मत दीजिए।
( जानकारी : Auschwitz Memorial से साभार)

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