कहानी: चरसेरी
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Photo by Deepak Choudhary on Unsplash |
short story by Shamima Hussain (शमीमा हुसैन)
आज रमेश ठाकुर के यहां बहुत बड़ी पूजा है। पूजा की तैयारी जोर शोर से चली रही है। सभी लोग काम में जुटे हैं। कोई दूध उबाल रहा है, तो कोई चावल-गुड़ संभाल रहा है। कई लोग सफाई करने में और फुलमाला बनाने में जुड़े हुए हैं। पवित्रता पर बारिकी से ध्यान दिया जा रहा है। उनके यहां जो आसामी काम करता है, वह गोबर से घर, दरवाजा और बथान लीपने में लगा हुआ है ...और केला पत्ता को धोने, सुखाने और झाड़ने में लगा हुआ है। वैसे पूजा की तैयारी तो महीनों से चल रही है, पर आज पूजा शुरू होने जा रही है। यह पूजा बैशाख महीने में ही होता है।
पूजा शुरू हुई तो पूरा माहौल धूप और अगरबत्ती से महकने लगा। और पवित्रमय हो गया।
रमेश ठाकुर के बेटे सुनील की पत्नी आनेवाले मेहमान का स्वागत कर रही है। वह पड़ोसी और मोहल्लेवाली औरतों का पूजा में शामिल होने के लिए अभार भी व्यक्त कर रही है।
उधर सुनील की नजर मोहल्ले की एक लड़की कृष्णा पर है। दरअसल, उस पर बहुत दिनों से उसकी नजर थी। कृष्णा का चरित्र बहुत सुदृढ था। वह फालतू किसी के यहां नहीं आती जाती थी और न फालतू किसी से बातें करती थी, लेकिन वह सुनील से बच गई थी और उसकी शादी हो गई। वह भी ससुराल से मायका आई थी।
सुनील ने जब उसे देखा तो उसकी नीयत खराब हो गई। उसने तरकीब सोचना शुरू कर दिया कि कृष्णा को कैसे पाया जाए। कृष्णा शादी के बाद और खूबसूरत हो गई थी। माथे पर बिंदिया और पांव की पायल उसे सम्पूर्णता दे रही थी।
लेकिन उस मासूम को क्या पता कि वह किसी के लिए चिड़िया हो गई है और बहेलिया उसके लिए जाल बिछाने में लगा हुआ है और दाने डाल रहा है।
पूजा में कुछ लोग जाने लगे और कुछ लोग जाने से पहले मंत्र जाप करने लगे। कृष्णा भी समय निकालकर पूजा में शामिल हो गई। पूजा बाहर दरवाजे पर रखी गई थी। दरवाजे पर टेंट लगाकर पूजा स्थान बना दिया गया था। एक जगह को विशेष लीप पोत कर केला के पेड़ों से सजा दिया गया था। सब लोग दरवाजे पर बैठकर मंत्र जाप करते थे। महिलाओं की टोली अलग और पुरुषों की टोली अलग थी। भगवान अपने स्नेह और करुणा की वर्षा अपने भक्तों पर कर रहे थे। कृष्णा भी वहां आई और मंत्र जाप करने लगी।
अचानक सुनील की पत्नी ने उसे बुलाया, तो उसने कहा भाभी मैं पूजा में बैठी हूं बाद में आकर मिलती हूं। लेकिन सुनील की पत्नी ने उसे बांह पकड़ कर उठा लिया और बड़े प्यार से बोली, " अरी ननद, चलो मैं तुम्हें अपनी साड़ियां दिखाना चाहती हूं।"
यह सुनकर कृष्णा उसके साथ घर में आ गई। भाभी ने उसे कई खूबसूरत साड़ियां दिखाईं। साड़ी दिखाते- दिखाते वह उसे बोली, "कृष्णा तुम यहां थोड़ी देर यहां बैठो, मैं अभी आई।
फिर भाभी बाहर चली गई।
तभी अचानक सुनील वहां आ धमका। उसने आते ही तपाक से दरवाजा बंद कर दिया। इससे पहले कि कृष्णा कुछ समझती सुनील ने उसे धर दबोचा। चिड़िया ने खुद को बचाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसने चिड़िया के सारे पंख नोच डाले।
बन्द किवाड़ के बाहर सुनील की पत्नी खड़ी थी और कृष्णा की हर चीख पर सहम जा रही थी। कृष्णा सिसकते हुए कह रही थी कि मुझे छोड़ दो, नहीं तो सबको बता दूंगी, लेकिन सुनील ने एक न सुनी।
अचानक, सुनील हांफते हुए चीखा, "तू सबको बता देगी?"
कृष्णा ने सिसकते हुए कहा, 'हां'
"तो ले" यह कहते हुए सुनील ने चरसेरी (चार किलो का एक पत्थर) उठाया और कृष्णा के सिर पर वार कर दिया।
कृष्णा ने वहीं दम तोड़ दिया।
बाहर सब लोग भगवान का ध्यान लगाकर बैठे थे।
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