Coronavirus: 'कोरोना आपदा' से धीमी हुई मुंबई की रफ्तार
![]() |
Photo: Gulzar Hussain |
By Gulzar Hussain
कहते हैं, मुंबई (Mumbai) की रफ्तार कभी कम नहीं होती, लेकिन 'कोरोना आपदा' ( #COVID2019india) ने इसे धीमा जरूर कर दिया है।
जिन्हें अत्यंत जरूरी काम नहीं है, वे घर से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में ट्रेनों, बसों और टैक्सियों में कम लोग हैं। मैंने दिन में चर्चगेट और देर रात को सीएसएमटी के प्लेटफार्म पर अपेक्षाकृत कम भीड़ देखी। लेकिन मेहनत-मजदूरी करके पेट पालने वाले और अन्य जरूरी काम करने वाले लोगों को घर से निकलकर काम करना पड़ ही रहा है। रोज कुआं खोद कर पानी पीने वालों के लिए तो घर में रहना भी आपदा से कम नहीं ...खैर, लोगों में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए हल्का डर तो है, लेकिन इसके बावजूद लोग सतर्क हैं। सावधान हैं।
लोग जानते हैं कि ऐसे खतरे से आखिरकार उन्हें खुद ही लड़ना है। यह जीने और स्वस्थ रहने की इच्छाशक्ति की परीक्षा भी हैं।
तो घबराइए नहीं...
सफाई का ख्याल रखें, सतर्क रहें ...जरूरी न हो, तो घर से नहीं निकलें ...जल्द सब ठीक होगा, ऐसी कामना है।
सफाई का ख्याल रखें, सतर्क रहें ...जरूरी न हो, तो घर से नहीं निकलें ...जल्द सब ठीक होगा, ऐसी कामना है।
'ये दुनिया है इंसानों की कुछ और नहीं इंसान हैं हम'
... कोरोना वायरस (Coronavirus) के दौर में शैलेंद्र की लिखी इस पंक्ति के साथ मैं कुछ कहना चाहता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं है। इसका ख्याल हमें आखिरी सांस तक रखना होगा...इसलिए मैं इस खतरनाक कोरोना वायरस के समय में यह कामना करता हूं कि हर इंसान की जान बचे...
चाहे कोरोना वायरस हो या सांप्रदायिकता का हिंसक नाच हो...चाहे जातीय वर्चस्व का खूनी खेल हो या नीति कानून के बहाने भेदभाव कर वंचित जातियों समुदायों को डिटेंशन कैंप में भेजने की साजिश हो...सभी इंसानियत का धीरे धीरे कत्ल करते हैं। इन सबको रुकना चाहिए।
क्या हम युवा और प्रौढ़ हो रहे लोगों को यह नहीं सोचना होगा कि देश दुनिया के बच्चे बेहतर जिंदगी जी पाएं... वे हर बीमार करने हर वायरस से सुरक्षित रहें ...वे धर्म के नाम पर कराए जाने वाले नरसंहारों से दूर रहें...बचे रहें....कोई ऐसी सियासी नीति कानून न हो, जो देशवासी की नागरिकता छीन ले...उन्हें बेघर कर दे...दरअसल, हम हर विनाशकारी नीतियों को खत्म कर एक सुंदर दुनिया अपने बच्चों को देना चाहते हैं...
हम चाहते हैं कि रात का चांद और खूबसूरत दिखे...लेकिन ये तभी संभव है जब घर बचे रहें...घरों में इंसान जिंदा रहे...
इंसानियत जिंदाबाद हो...हर घर आबाद हो...
इंसानियत जिंदाबाद हो...हर घर आबाद हो...
Comments
Post a Comment