मुंबई की सलामती के लिए आरे जंगल को बचाइए




                   Calligraphy poster:  Dhananjay Kokate

आरे के हजारों हरे-भरे पेड़ों और पंछियों को उजाड़ने का सीधा प्रभाव मुंबई में रहने वालों पर पड़ेेेेगा। नतीजा यह होगा कि मुंबई किसी सुनामी जैसी आपदा में डूब सकती है या रेगिस्‍तान की तरह सूख सकती है। पूरी मुंबई एक सुर से आरे बचाने के पक्ष में खड़ी है, लेकिन इस आवाज से जंगल उजाड़ने वालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।



 By  Gulzar Hussain

कुछ लोग आरे जंगल को मुंबई का दिल कहते हैं, तो कुछ लोग इसे मुंबई का फेफड़ा (लंग) कहते हैं। चाहे कुछ भी कहिए आप इस छोटे से जंगल को, लेकिन पथरीले महलों से भरे इस मुंबई महानगर की सांसें यदि चल रही हैं, तो केवल आरे जंगल के कारण चल रही हैं। लेकिन अब इस जंगल को उजाड़ने की पूरी तैयारी कर ली गई है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि महाराष्ट्र सरकार के यहां मेट्रो कार शेड बनाने के निर्णय से जंगल के साथ यहां के पशु-पक्षियों और यहां रहने वाले वार्ली समुदाय के लोगों का अस्तित्‍व भी खतरे में पड़ सकता है।




मुंबई में आरे जंगल को बचाने के लिए आम जनता सड़कों पर है, लेकिन दूसरी तरफ हरियाली में गाने की शूटिंग करने वाले ज्यादातर बड़े फिल्मकार चुप हैं ...बड़े पत्रकारों ने मुंह में ताले लगा लिए हैं ...विपक्षी नेताओं में भी आरे जंगल को बचाने का कोई जोश नहीं दिखाई दे रहा...उद्योगपतियों में पेड़ों को बचाने के लिए कोई कुलबुलाहट नहीं हैं।...जरा सोचिए कि जिन लोगों को आम जनता सर आंखों पर बिठाए हुए रहती हैं ...जिनकी हर अदा पर तालियां पीटती रहती है, वे धनाढ्य लोग देश के हरे भरे पेड़ों को उजाड़ कर नई पीढ़ी को एक अंधेरे खोह में धकेले जाने पर किस तरह ठंडे पड़े हैं।


तब फिर मुंबई की सलामती की फिक्र कौन करेगा? अब भी समय है कि मुंबई सहित देशभर के लोग इस जंगल को बचा सकते हैं, क्‍योंकि इसे बचाना जरूरी है ...मुंबई की नई पीढ़ी की सांसें सलामत रखने के लिए इसे बचाना जरूरी है। 

मुंबई मेट्रो परियोजना के तहत कार शेड बनाने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी)ट्री अथॉरिटी ने आरे कॉलोनी में 2700 से ज़्यादा पेड़ों को काटने का आदेश दिया है, जिसका जोरदार विरोध भी हो रहा है, लेकिन महाराष्‍ट्र की भाजपा सरकार यहां मेट्रो कारशेड लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, क्‍योंकि उसका एकमात्र लक्ष्‍य मेट्रो की सलामती चाहना है। तब फिर मुंबई की सलामती की फिक्र कौन करेगा? अब भी समय है कि मुंबई सहित देशभर के लोग इस जंगल को बचा सकते हैं, क्‍योंकि इसे बचाना जरूरी है ...मुंबई की नई पीढ़ी की सांसें सलामत रखने के लिए इसे बचाना जरूरी है।


गौरतलब है कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) को मेट्रो 3 कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे कॉलोनी में 2,646 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए अंतिम अनुमति पत्र जारी किया है, जिसके विरोध में मुंबईकर उठ खड़े हुए हैं। लेकिन सत्‍ता जिस तरह पैंतरे अपनाते हुए अपनी ताकत दिखा रही है, उससे जनता का विरोध नाकाफी लगता है।


इधर बॉलीवुड के सुपरस्‍टार अमिताभ बच्‍चन और अक्षय कुमार खुलकर मेट्रो के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं। अमिताभ के मेट्रो के पक्ष में ट्वीट किए जाने के खिलाफ मुंबई के जुहू स्थित बच्चन के आवास ‘जलसा’ के बाहर बुधवार को छात्रों और एक्टिविस्‍टों ने प्रदर्शन किया, जिन्‍हें पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया। सभी प्रदर्शनकारियों ने 'आरे बचाओ’ और ‘बगीचों से जंगल नहीं बनते’ जैसे पोस्टर लहराए और नारे लगाए। वहीं दूसरी तरफ जॉन अब्राहम खुलकर आरे जंगल को बचाने के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने कहा- आरे के हरे-भरे पेड़ हमारे फेफड़े हैं। इसे बचाने के लिए आवाज उठाना जरूरी है।


अभिताभ बच्चन ने मंगलवार को एक ट्वीट किया था। दरअसल उन्‍होंने ट्वीट करके आरे के पेड़ बचाने की बात को मजाक में बदल दिया था। उन्‍होंने लिखा था, ‘मेरे एक मित्र को आपात चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता थी, उन्होंने अपनी कार के बजाय मेट्रो से जाने का फैसला किया… वह बहुत प्रभावित होकर लौटे… उन्होंने कहा कि यह (मेट्रो) अधिक तेज, सुविधानजनक और सबसे दक्ष है… प्रदूषण के लिए समाधान… और पेड़ लगाएं… मैंने अपने बगीचे में पेड़ लगाए थे… क्या आपने लगाए?’

पूरी मुंबई एक सुर से आरे बचाने के पक्ष में खड़ी है, लेकिन इस आवाज से जंगल उजाड़ने वालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। 

महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जनता की बात सुनने को बिल्‍कुल भी तैयार नहीं हैं। वे साफ तौर पर कह रहे हैं कि यह सरकारी जमीन है, जंगल नहीं है। उन्‍होंने पिछले दिनों कहा है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि यह जमीन जंगल या जैव-विविधता में नहीं आती है और ऐसी अनुमति (मेट्रो कार शेड के लिए) दी जा सकती है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार, शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों का पालन करते हुए, परियोजना पर काम कर रही है और मुंबई में मेट्रो परियोजना को जापान से धन प्राप्त हुआ है।


यह तो साफ है कि आरे के हजारों हरे-भरे पेड़ों और पंछियों को उजाड़ने का सीधा प्रभाव मुंबई में रहने वालों पर पड़ेेेेगा। नतीजा यह होगा कि मुंबई किसी सुनामी जैसी आपदा में डूब सकती है या रेगिस्‍तान की तरह सूख सकती है। पूरी मुंबई एक सुर से आरे बचाने के पक्ष में खड़ी है, लेकिन इस आवाज से जंगल उजाड़ने वालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। ऐसे समय में जब सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार पेड़ों की चिंता छोड़ मेट्रो के पक्ष में खड़े हो गए हैं, तब हम सब का यह फर्ज बनता है कि हम आरे के पक्ष में आवाज बुलंद करें। फेसबुक, ट्विटर पर लिखें...मुंबई में होने वाले आंदोलनों में शामिल हो कर आवाज मिलाएं। पेड़ों को बचाएं, मुंबई की आने वाली पीढ़ी को बचाएं।

आपके पास बस आखिरी मौका है।


#SaveAareySaveMumbai
#SaveAareyForest

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