बारुदगंध पसरण्यापूर्वी : हिन्दी से अनूदित कविता
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Photo by Girish Dalvi on Unsplash |
पहली बार मेरी किसी कविता का अन्य भारतीय भाषा में अनुवाद हुआ है, इसलिए इसे अपने ब्लॉग पर रखने की इच्छा को रोक नहीं सका। मेरी कविता ‘बारूद की गंध फैलने से पहले’ का अनुवाद लेखक और अनुवादक भरत यादव ने इतनी खूबसूरती से किया है कि यह मराठी भाषा में ही लिखी गई कविता लगती है। उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद। बारुदगंध पसरण्यापूर्वी / (बारूद की गंध फैलने से पहले)
-मूल कविता- Gulzar Hussain
-मराठी अनुवाद-Bharat Yadav
या या
समुद्रकिनारी या
समुद्रकिनारी या
या
हवेमध्ये बारुदाचा तिखट गंध
भरुन जाण्यापूर्वी
इथली जीवनदायिनी हवा फुफ्फुसात
भरुन घ्या
हवेमध्ये बारुदाचा तिखट गंध
भरुन जाण्यापूर्वी
इथली जीवनदायिनी हवा फुफ्फुसात
भरुन घ्या
या पहा
समुद्राच्या लाटांवर ऐटीत मिरवणारे ऊन
ज्याचे तेज हातात घेऊन
आपल्या डोळ्यात लपवणारी प्रेयसी
बघत आहे प्रियकराकडे एकटक
समुद्राच्या लाटांवर ऐटीत मिरवणारे ऊन
ज्याचे तेज हातात घेऊन
आपल्या डोळ्यात लपवणारी प्रेयसी
बघत आहे प्रियकराकडे एकटक
या अनुभवा
हवेत पसरलेले मानव-चुंबनाचे ऊर्जादायी तरंग
जे शतकांपासून
माणसामध्ये निर्माण करत आलेत
जगण्याची इच्छा
हवेत पसरलेले मानव-चुंबनाचे ऊर्जादायी तरंग
जे शतकांपासून
माणसामध्ये निर्माण करत आलेत
जगण्याची इच्छा
या या
सारे या
समुद्रकिनारी
आपापल्या प्रियेचा हात हातात घेऊन या
ज्यामुळे परस्परांना विश्वास देऊ शकाल
की,
घोर संकटसमयी देखील
सोडणार नाही आहोत एकमेकांचा हात
सारे या
समुद्रकिनारी
आपापल्या प्रियेचा हात हातात घेऊन या
ज्यामुळे परस्परांना विश्वास देऊ शकाल
की,
घोर संकटसमयी देखील
सोडणार नाही आहोत एकमेकांचा हात
या
त्वरेने या
कुणी सांगावं कधी कुठल्या क्रूरवेळी
एखादा दुष्ट हुकूमशहा
समुद्र किनारी प्रियाराधन करणे, हा
गुन्हा ठरवेल
-------------------
त्वरेने या
कुणी सांगावं कधी कुठल्या क्रूरवेळी
एखादा दुष्ट हुकूमशहा
समुद्र किनारी प्रियाराधन करणे, हा
गुन्हा ठरवेल
-------------------
मूल कविता (हिन्दी)
बारूद की गंध फैलने से पहले
आओ आओ
समंदर के किनारे आओ
समंदर के किनारे आओ
आओ
इससे पहले कि हवा में बारूद की तीखी गंध फैल जाए
यहां की जीवनदायी हवा को फेफड़ों में भर लो
इससे पहले कि हवा में बारूद की तीखी गंध फैल जाए
यहां की जीवनदायी हवा को फेफड़ों में भर लो
आओ देखो
समंदर की लहरों पर इठलाती धूप
जिसकी चमक को हथेली से ओट कर
अपनी आंखों को छुपाती प्रेमिका
देख रही है प्रेमी को एकटक
समंदर की लहरों पर इठलाती धूप
जिसकी चमक को हथेली से ओट कर
अपनी आंखों को छुपाती प्रेमिका
देख रही है प्रेमी को एकटक
आओ महसूस करो
हवा में पसरी मानव-चुंबन की ऊर्जा
जो सदियों से
इंसान में पैदा करती रही है
जीने की इच्छा
हवा में पसरी मानव-चुंबन की ऊर्जा
जो सदियों से
इंसान में पैदा करती रही है
जीने की इच्छा
आओ आओ
सब आओ
समंदर के किनारे
अपनी-अपनी प्रेमिकाओं का हाथ थामे आओ
ताकि एक दूसरे को विश्वास दिला सको
कि आसन्न संकट के समय में भी
नहीं छोड़ोगे एक दूसरे का साथ
सब आओ
समंदर के किनारे
अपनी-अपनी प्रेमिकाओं का हाथ थामे आओ
ताकि एक दूसरे को विश्वास दिला सको
कि आसन्न संकट के समय में भी
नहीं छोड़ोगे एक दूसरे का साथ
आओ
जल्द आओ
कि न जाने कब किसी क्रूर समय में
कोई दुष्ट तानाशाह
समंदर किनारे के प्रेमालाप को अपराध घोषित कर दे
---------------
गुलज़ार हुसैन
जल्द आओ
कि न जाने कब किसी क्रूर समय में
कोई दुष्ट तानाशाह
समंदर किनारे के प्रेमालाप को अपराध घोषित कर दे
---------------
गुलज़ार हुसैन
गुलज़ार हुसैन जी आपकी कविता: बारुदगंध पसरण्यापूर्वी / (बारूद की गंध फैलने से पहले) हिंदी व मराठी दौनों रूप पढ़े.
ReplyDeleteआपने समंदर के किनारे और प्रेमियों के लिए बहुत सुन्दर कविता लिखी. कविता के भाव बहुत अच्छे लगे.
अनुवादक श्री भरत यादव ने भी मराठी में अनुवाद किया उसके लिए उन्हें बधाई. आप दौनों ने कमाल किया.
वेद प्रकाश गहलोत, बीकानेर, राजस्थान
शुक्रिया।
Deleteबेहद खूबसूरत कविता , समंदर किनारे जीवन की नई ऊर्जा को संचालित करती ,सच समंदर किनारे गीली मिट्टी और सूरज की किरणों से जो चमक समंदर में आती है वो अद्भुत दृश्य होते हैं ये दृश्य हमेशा मन में छाप छोड़ देते हैं, प्रकृति का मानव के हाथों में हाथ का आभास बेहद खूबसूरत होता है
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