जातिवादी रैगिंग ने किया मासूम सपने का कत्‍ल

डॉक्‍टर पायल तड़वी/ फोटो: फेसबुक से साभार
 उसने यह नहीं जाना था कि उसकी प्रतिभा को देखने की बजाय कुछ लोग उसकी जाति को लेकर निशाना साधेंगे और उसकी जान ले लेंगे। ऐसी ही यातनादायक स्थिति उसके सामने आ गई। उच्‍च जाति के होने के घमंड में चूर कुछ सीनियर महिला डॉक्‍टरों ने उसके पेट में जाति के विष से सना छुरा भोंक दिया। 


By Gulzar Hussain
उसकी आंखों में एक सपना बसता था ...वह डॉक्‍टर बनकर देश के बेस‍हारा लोगों का इलाज करना चाहती थी, लेकिन जातिवादी रैगिंग ने उसके मासूम सपनों का बेदर्दी से कत्‍ल कर दिया ...हां, रेजिडेंट डॉक्टर पायल तड़वी (Dr. Payal Tadvi) ने जातिवादी फब्तियों से तंग होकर आत्‍महत्‍या कर ली, लेकिन क्‍या इस भीषण यातना को केवल आत्‍महत्‍या कहकर इससे मुंह मोड़ा जा सकता है?


दरअसल यह चाकू- बंदूक से किए गए मर्डर से भी अधिक क्रूर हत्‍या है। किसी को वंचित जाति होने का बारंबार उलाहना देना उसका बारंबार कत्‍ल करना है। पायल तो चली गई, लेकिन इस कथित ताकतवर सरकार की नीतियों पर चलकर मजबूत राष्‍ट्र बनते इस देश के लोगों के सामने एक बेचैन करने वाला सवाल छोड़ गई है...कि कब तक जातिवाद की आग में सपनों की लाशें निकलती रहेंगी।

हां, मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर पायल तड़वी देश को और बेहतर बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रही थी, लेकिन उसने यह नहीं जाना था कि उसकी प्रतिभा को देखने की बजाय कुछ लोग उसकी जाति को लेकर निशाना साधेंगे और उसकी जान ले लेंगे। ऐसी ही यातनादायक स्थिति उसके सामने आ गई। उच्‍च जाति के होने के घमंड में चूर कुछ सीनियर महिला डॉक्‍टरों ने उसके पेट में जाति के विष से सना छुरा भोंक दिया।
डॉक्‍टर पायल तड़वी/ फोटो: फेसबुक से साभार


आरोप है कि पायल ने अपने ही वरिष्ठ महिला डॉक्टरों की लगातार प्रताड़ना से परेशान होकर जान दे दी। इन तीन क्रूर 'जातिवादी हत्‍यारिन' हेमा आहुजा, डॉ.भक्ति महिरे और डॉ. अंकिता खंडेलवाल को महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) ने सदस्यता निरस्त कर दी है, लेकिन क्‍या इन जातिवादी खूनियों के लिए इतनी सजा काफी है। इन जातिवादी डॉक्‍टरों को शीघ्र गिरफ्तार किए जाने की जरूरत है, नहीं तो ये न जाने कितनों की हत्‍या कर देंगी।


एक रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल प्रशासन ने पायल आत्महत्या मामले की छानबीन के लिए एंटी रैगिंग समिति का भी गठन किया है। इससे इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ज्ञात हो कि 22 मई को डॉ. पायल तड़वी ने हॉस्टल में आत्महत्या की थी, लेकिन अब तक इन सीनियर डॉक्‍टरों की गिरफ्तारियां नहीं हुईं हैं। फिलहाल पुलिस के अनुसार अनूसचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम, एंटी रैगिंग अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।



वहीं बीवाईएल नायर अस्पातल प्रशासन की ओर से यह आश्‍वासन दिया गया है कि इस मामले की जांच के लिए एक एंटी रैगिंग समिति का गठन किया है। इसके अलावा तीनों आरोपी वरिष्ठ डॉक्टरों को नोटिस भेजकर प्रशासन के सामने पेश होने को भी कह दिया गया है। वहीं दूसरी ओर पायल की मां अबेदा तड़वी ने कहा था, 'जब भी पायल मुझसे फोन पर बात करती थी तो कहती थी कि ये तीनों वरिष्ठ महिला डॉक्टर उसे प्रताड़ित करती हैं क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से है। ये डॉक्टर्स जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते थे।’

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