भड़काऊ बयानबाजी से क्या पाना चाहते हैं फायरब्रांड नेता?
Viewpoint : Gulzar Hussain
भाजपा- आरएसएस नेताओं में भड़काऊ बयानबाजी करने की होड़ लगी है। लेकिन इन्हें मना करने वाला कोई नहीं है। भाजपाई मंत्री अनंत हेगड़े के 'हाथ काट लेने' जैसे हिंसक बयान की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब आरएसएस (RSS) नेता इंद्रेश कुमार ने देशद्रोहियों की एक लंबी लिस्ट ही जारी कर दी है। इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan) नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 'देशद्रोही' कहकर देश को कैसे युवा की जरूरत है यह भी बता दिया है।
सवाल यह है कि ऐसे हिंसक और भड़काऊ बयान के पीछे आखिर भाजपा- आरएसएस नेताओं का उद्देश्य क्या है? इन बयानों से ऐसे नेताओं को आखिर फायदा क्या होता है, जो ये लगातार ऐसी बयानबाजी करते रहते हैं? सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बारंबार ऐसे बयान देने के बाद भी इन नेताओं पर उनसे जुड़े संगठन या पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती। कार्रवाई तो दूर की बात है, कोई फटकार या सीख भी ऐसे नेताओं को नहीं दी जाती ऐसी भड़काऊ बातें मत किया करो। पार्टी- संगठन की इस चुप्पी से तो यही लगता है कि ऐसे बयानों से उन्हें फायदा होता है। तो क्या ऐसे बयान देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। या ऐसे बयान देने के लिए उन्हें ऊपर से आदेश मिला होता है। यदि ऐसे बयान देने वालों की उनकी पार्टी की ओर से निंदा तक नहीं की जाए, तो इसका आखिर क्या मतलब निकलता है? यही न।
इन दो हालिया बयानों को छोड़ भी दें तो भी ऐसे 'बयान बहादुरों' की लंबी संख्या है, जिन्हें चाहकर भी इगनॉर नहीं किया जा सकता है। कई नेताओं के बयान केवल हिंसक ही नहीं होते, बल्कि स्त्री विरोधी और घोर जातिवादी भी होते हैं। आप चाहें तो पिछले दिनों गिरिराज सिंह, साक्षी महाराज सहित कई अन्य नेताओं के विवादास्पद बयानों को इंटरनेट पर एक क्लिक करके पढ़ सकते हैं। और आप देख सकते हैं कि इन नेताओं ने अपने बयान में क्या कहा है और क्यों कहा है। मैं उन बयानों को यहां दोहराकर आपका समय बर्बाद नहीं करना चाहता, लेकिन यह जरूर कहना चाहता हूं कि इन बयान देने वाले फायरब्रांड नेताओं और उनकी पार्टी के मंसूबों को जरूर समझें।
दरअसल, कई नेता ऐसे भड़काऊ बयान देकर यह समझते हैं कि लोग आपस में लड़ पड़ेंगे। दंगे- फसाद की नौबत तक आ जाएगी। यही एक उनकी चाल है, जिसके सहारे वे वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। लेकिन वर्तमान में ऐसा हो नहीं रहा है, इसलिए वे हताशा में आकर कभी किसी को पाकिस्तान भेजने की बात कर रहे हैं, तो किसी को देशद्रोही करार दे रहे हैं। देशद्रोही कहना तो भाजपाइयों- संघियों का फैशन हो गया है। जो भी इनकी विचारधारा से असहमत है, उन्हें वे तड़ाक से देशद्रोही करार दे देते हैं। वे सोचते हैं कि देशवासी मूर्ख हैं और उनके बयानों में फंसकर अपने भाई- बंधु से लड़- भिड़ जाएंगे। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि इन चंद फायरब्रांड नेताओं ने हमारे देश को ठीक से समझा ही नहीं है। लोगों को आपस में लड़ाने वाले निश्चित रूप से मुंह की खाएंगे।
भाजपा- आरएसएस नेताओं में भड़काऊ बयानबाजी करने की होड़ लगी है। लेकिन इन्हें मना करने वाला कोई नहीं है। भाजपाई मंत्री अनंत हेगड़े के 'हाथ काट लेने' जैसे हिंसक बयान की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब आरएसएस (RSS) नेता इंद्रेश कुमार ने देशद्रोहियों की एक लंबी लिस्ट ही जारी कर दी है। इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan) नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 'देशद्रोही' कहकर देश को कैसे युवा की जरूरत है यह भी बता दिया है।
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सवाल यह है कि ऐसे हिंसक और भड़काऊ बयान के पीछे आखिर भाजपा- आरएसएस नेताओं का उद्देश्य क्या है? इन बयानों से ऐसे नेताओं को आखिर फायदा क्या होता है, जो ये लगातार ऐसी बयानबाजी करते रहते हैं? सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बारंबार ऐसे बयान देने के बाद भी इन नेताओं पर उनसे जुड़े संगठन या पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती। कार्रवाई तो दूर की बात है, कोई फटकार या सीख भी ऐसे नेताओं को नहीं दी जाती ऐसी भड़काऊ बातें मत किया करो। पार्टी- संगठन की इस चुप्पी से तो यही लगता है कि ऐसे बयानों से उन्हें फायदा होता है। तो क्या ऐसे बयान देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। या ऐसे बयान देने के लिए उन्हें ऊपर से आदेश मिला होता है। यदि ऐसे बयान देने वालों की उनकी पार्टी की ओर से निंदा तक नहीं की जाए, तो इसका आखिर क्या मतलब निकलता है? यही न।
इन दो हालिया बयानों को छोड़ भी दें तो भी ऐसे 'बयान बहादुरों' की लंबी संख्या है, जिन्हें चाहकर भी इगनॉर नहीं किया जा सकता है। कई नेताओं के बयान केवल हिंसक ही नहीं होते, बल्कि स्त्री विरोधी और घोर जातिवादी भी होते हैं। आप चाहें तो पिछले दिनों गिरिराज सिंह, साक्षी महाराज सहित कई अन्य नेताओं के विवादास्पद बयानों को इंटरनेट पर एक क्लिक करके पढ़ सकते हैं। और आप देख सकते हैं कि इन नेताओं ने अपने बयान में क्या कहा है और क्यों कहा है। मैं उन बयानों को यहां दोहराकर आपका समय बर्बाद नहीं करना चाहता, लेकिन यह जरूर कहना चाहता हूं कि इन बयान देने वाले फायरब्रांड नेताओं और उनकी पार्टी के मंसूबों को जरूर समझें।
दरअसल, कई नेता ऐसे भड़काऊ बयान देकर यह समझते हैं कि लोग आपस में लड़ पड़ेंगे। दंगे- फसाद की नौबत तक आ जाएगी। यही एक उनकी चाल है, जिसके सहारे वे वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। लेकिन वर्तमान में ऐसा हो नहीं रहा है, इसलिए वे हताशा में आकर कभी किसी को पाकिस्तान भेजने की बात कर रहे हैं, तो किसी को देशद्रोही करार दे रहे हैं। देशद्रोही कहना तो भाजपाइयों- संघियों का फैशन हो गया है। जो भी इनकी विचारधारा से असहमत है, उन्हें वे तड़ाक से देशद्रोही करार दे देते हैं। वे सोचते हैं कि देशवासी मूर्ख हैं और उनके बयानों में फंसकर अपने भाई- बंधु से लड़- भिड़ जाएंगे। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि इन चंद फायरब्रांड नेताओं ने हमारे देश को ठीक से समझा ही नहीं है। लोगों को आपस में लड़ाने वाले निश्चित रूप से मुंह की खाएंगे।
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