अभिनय सीखने की ललक होनी चाहिए: ललित पारिमू

           Bhupali Tamboli and Lalit Parimoo / Photo by Milind tambe 

Interview:  Gulzar Hussain  (साक्षात्कार: गुलज़ार हुसैन

रंगमंच, टीवी और फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से लोगों का दिल जीतने वाले ललित पारिमू (Lalit Parimoo) से पिछले दिनों बातचीत करने का अवसर मिला। उन्होंने अभिनय के अलावा कई विषयों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अभिनय सीखने की चीज है। नई पीढ़ी को यदि अभिनय के क्षेत्र में जमना है, तो उसमें सीखने की ललक होनी चहिए।

ललित साहित्य प्रेमी अभिनेता हैं। उन्होंने बताया कि साहित्य पढ़ने से उन्हें अभिनय की बारीकियों को समझने में बहुत मदद मिलती है। उन्हें अक्सर बुक स्टॉल पर अच्छी पुस्तकों और पत्रिकाओं की तलाश करते देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि उन्हें फणीश्वरनाथ रेणु के  उपन्यास ‘मैला आंचल’ पर बने धारावाहिक में काम करने का मौका मिला। वे इसकी शूटिंग के लिए बिहार के फारबिसगंज कई इलाकों में गए और बड़े लगन से काम किया। 

थियेटर से शुरू हुआ सफर 

ललित कश्मीर से हैं और उन्होंने शुरुआती दिनों में दिल्ली में रहकर थियेटर में अपना बहुत सारा समय दिया है। रंगमंच पर अपने अभिनय के रंग बिखेरते हुए उन्होंने हर बारीकियां सीखीं हैं और यही संदेश वह नई पीढ़ी को भी देते हैं। वे कहते हैं कि जो काम लोग करना चाहते हैं, उसे वे बेहद लगन से करें। अभिनय के क्षेत्र में जो उतरना चाहते हैं वे इस कला को समझें, सीखें और फिर खुद को उसमें झोंक दें। उन्होंने कहा कि अभिनय कला का क्षेत्र भगोड़े लोगों का नहीं है। इसमें यदि आप उतर रहे हैं, तो लगन और मेहनत बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि वे टीवी और फिल्मों में अभिनय करने के लिए दिल्ली से मुंबई का चक्कर लगाते रहते थे। उन्होंने कहा कि मुंबई के टीवी प्रोड्युसरों ने कभी निराश नहीं किया। इसके बाद उन्होंने कई कलात्मक टीवी धारावाहिकों में काम किया। उन्होंने बताया कि वे अबतक लगभग 100 टीवी धारावाहिकों में काम कर चुके हैं।


साहित्य प्रेम से कलात्मक फिल्मों तक 


ललित साहित्य प्रेमी अभिनेता हैं। उन्होंने बताया कि साहित्य पढ़ने से उन्हें अभिनय की बारीकियों को समझने में बहुत मदद मिलती है। उन्हें अक्सर बुक स्टॉल पर अच्छी पुस्तकों और पत्रिकाओं की तलाश करते देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि उन्हें फणीश्वरनाथ रेणु के  उपन्यास ‘मैला आंचल’ पर बने धारावाहिक में काम करने का मौका मिला। वे इसकी शूटिंग के लिए बिहार के फारबिसगंज कई इलाकों में गए और बड़े लगन से काम किया। उन्होंने बताया कि शूटिंग के दौरान बिहार के लोगों का इतना सपोर्ट था कि कभी भी आंचलिक शब्दों का प्रयोग करने में उन्हें तनिक भी परेशानी नहीं हुई।
Lalit Parimoo के साथ लेखक
इसके अलावा उन्हें गोविंद निहलानी की फिल्म ‘संशोधन’ में भी काम करने का अवसर मिला। उन्होंने ‘हजार चौरासी की मां’ में भी काम किया। उन्होंने बताया कि कलात्मक और साहित्यिक फिल्मों में काम करने का आनंद ही अलग है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक कृतियों पर फिल्में बननी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य कुछ लोगों की चीज बनकर नहीं रह जाए। साहित्य आमजन मानस से दूर होता जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पोपुलर राइटर्स नहीं हुए। इसकी कमी खलती है।
ललित ने बताया कि कलात्मक और साहित्यिक फिल्मों में काम करने का आनंद ही अलग है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक कृतियों पर फिल्में बननी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य कुछ लोगों की चीज बनकर नहीं रह जाए। 

 ‘पंचलाइट’: रेणु का जादू

प्रख्यात साहित्याकर फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘पंचलाइट’ पर बनी फिल्म में अपने किरदार को लेकर ललित बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि फिल्म में मेरा किरदार बेहद अलग किस्म का है। उन्होंने कहा कि गांव के परिवेश में रची-बसी इस कहानी को सिनेमा के पर्दे पर देखकर लोग बेहद खुश होंगे। ललित ने बताया कि इसमें उनका किरदार एक अलग तरह के प्रयोग को दर्शाता है। रासलीला गाने वाले साधु के रूप में वे फिल्म में हैं।
(दबंग दुनिया, मुंबई में प्रकाशित)

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