THE WILD DUCK: प्यार और नफरत के बीच झूलता जीवन
'द वाइल्ड डक' एक गरीब युवक हजलमार की कहानी है, जो अपनी पत्नी गीना और बेटी हेदविग से बहुत प्यार करता है। लेकिन उसके यह प्यार का महल तब भरभरा कर ढह जाता है, जब उसे उसके मित्र ग्रेगर्स से कुछ रहस्य का पता चलता है। इब्सन का यह नाटक पुरुषवाद की कलई तो खोलता ही है, साथ ही बुर्जआ मानसिकता से भरे समाज की नींव की कमजोरियों को भी उजागर करता है।
![]() |
Symbolic Photo by Yannis Papanastasopoulos on Unsplash |
नार्वे के प्रसिद्ध नाटककार इब्सन का नाटक 'The Wild Duck' :(हिंदी अनुवाद :यशपाल) पढ़ने के बाद लगभग तीन दिनों तक मेरे मन में झपसी लगी रही। सो भला कब तक इसे बरसने से रोका जा सकता था। आदर्शवाद की कसौटियों पर कसे जाते पुरुष मन के अंतर्द्वंद्व और पलायन को इब्सन ने बड़े ही सशक्त रूप में प्रस्तुत किया है।
'द वाइल्ड डक' एक गरीब युवक हजलमार की कहानी है, जो अपनी पत्नी गीना और बेटी हेदविग से से बहुत प्यार करता है। लेकिन उसके यह प्यार का महल तब भरभरा कर ढह जाता है, जब उसे उसके मित्र ग्रेगर्स से कुछ रहस्य का पता चलता है। इब्सन का यह नाटक पुरुषवाद की कलई तो खोलता ही है, साथ ही बुर्जआ मानसिकता से भरे समाज की नींव की कमजोरियों को भी उजागर करता है। ग्रेगर्स आदर्शवाद का मारा है और इसी उद्देश्य में वह अपने मित्र हजलमार के सुखद पारिवारिक जिंदगी में संदेह के बीज बो देता है।
'द वाइल्ड डक' एक गरीब युवक हजलमार की कहानी है, जो अपनी पत्नी गीना और बेटी हेदविग से से बहुत प्यार करता है। लेकिन उसके यह प्यार का महल तब भरभरा कर ढह जाता है, जब उसे उसके मित्र ग्रेगर्स से कुछ रहस्य का पता चलता है। इब्सन का यह नाटक पुरुषवाद की कलई तो खोलता ही है, साथ ही बुर्जआ मानसिकता से भरे समाज की नींव की कमजोरियों को भी उजागर करता है। ग्रेगर्स आदर्शवाद का मारा है और इसी उद्देश्य में वह अपने मित्र हजलमार के सुखद पारिवारिक जिंदगी में संदेह के बीज बो देता है।
![]() |
The Wild Duck : Play by Henrik Ibsen |
प्रतीकों का इतना सटीक प्रयोग इब्सन की गंभीर रचनाशीलता का परिचायक है। विवाह पूर्व और बाद के यौन संबंधों की स्थितियां और बंदूक की उपस्थिति नाटक को गतिशील बनाए रखती है।
ग्रेगर्स के एक तथ्य से हजलमार का परिवार टूट कर बिखर जाता है। इब्सन ने इस नाटक में सैक्स और हिंसा का बेजोड़ उपयोग किया है। उन्होंने शिकार करने वाली बंदूक और जंगली बतख को ऐसे प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है, जो पूरे नाटक में पाठकों या दर्शकों के दिमाग में हलचल मचाता रहता है। इन प्रतीकों का इतना सटीक प्रयोग इब्सन की गंभीर रचनाशीलता का परिचायक है। विवाह पूर्व और बाद के यौन संबंधों की स्थितियां और बंदूक की उपस्थिति नाटक को गतिशील बनाए रखती है।
...वह वर्ल की ओर से मिलने वाली हर मदद को अपना अपमान समझने लगता है। वह आंखों की समस्या से जूझ रही बेटी को भी अपने से दूर कर देता है, क्योंकि उसे लगता है कि बूढ़े वर्ल की आंखों में भी गंभीर समस्याएं हैं और यह समस्या वहीं से आई है।
ग्रेगर्स को जब यह पता चलता है कि उसके बर्जुआ पिता वर्ल ने नौकरानी गीना
से यौन संबंध बनाने के बाद उसकी शादी हजलमार से कर दी थी, तो उसे यह सहन
नहीं होता और यह रहस्य वह हजलमार से कह देता है। अब बहुत पहले की इन घटनाओं
को लेकर हजलमार के मन में कई संदेह पैदा हो जाते हैं। वह वर्ल की ओर से
मिलने वाली हर मदद को अपना अपमान समझने लगता है। वह आंखों की समस्या से जूझ
रही बेटी को भी अपने से दूर कर देता है, क्योंकि उसे लगता है कि बूढ़े वर्ल
की आंखों में भी गंभीर समस्याएं हैं और यह समस्या वहीं से आई है।
इस नाटक में सबसे अधिक प्रभावित करने वाली पात्र हजलमार की बेटी हेदविग ही है, जो अपने पिता से बहुत प्यार करती है। उसे अपने घर की जंगली बतख बहुत प्रिय है। वह पिता को फिर से पाने के लिए अपने सबसे प्रिय जंगली बतख को गोली मारने का फैसला करती है। लेकिन इब्सन के इस नाटक में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं, जो पाठकों को अचानक झकझोर देते हैं। घटनाक्रम इतनी तेजी से बदलता है कि पिता की उपेक्षा और घर छोड़ने के फैसले से दुखी हेदविग स्वयं पर गोली चला लेती है।
अगर आपने अबतक इसे नहीं पढ़ा है, तो मौका मिलते ही इस नाटक को जरूर पढ़िए।
इस नाटक में सबसे अधिक प्रभावित करने वाली पात्र हजलमार की बेटी हेदविग ही है, जो अपने पिता से बहुत प्यार करती है। उसे अपने घर की जंगली बतख बहुत प्रिय है। वह पिता को फिर से पाने के लिए अपने सबसे प्रिय जंगली बतख को गोली मारने का फैसला करती है। लेकिन इब्सन के इस नाटक में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं, जो पाठकों को अचानक झकझोर देते हैं। घटनाक्रम इतनी तेजी से बदलता है कि पिता की उपेक्षा और घर छोड़ने के फैसले से दुखी हेदविग स्वयं पर गोली चला लेती है।
अगर आपने अबतक इसे नहीं पढ़ा है, तो मौका मिलते ही इस नाटक को जरूर पढ़िए।
Comments
Post a Comment